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लंदन के सरदारजी के पास है हर पगड़ी से मैच करती कार, इसके पीछे की वजह बड़ी दिलचस्प है

पगड़ी और दाढ़ी

पगड़ी और दाढ़ी सिखों की शान होती है और ये उनके लिए धार्मिक लिहाज से भी ज़रूरी है, क्योंकि सिख धर्म में सरदारों के लिए पगड़ी और दाढ़ी रखना अनिवार्य है, मगर कई बार विदेशों में लोग उनकी पगड़ी और दाढ़ी का मज़ाक उड़ाते हैं.

कुछ ऐसा ही लंदने के एक सरदार जी के साथ भी हुआ, मगर अपने अपमान का बदला लेने के लिए इस सरदार ने जो किया है वो वाकई किसी मिसाल से कम नहीं है.

ब्रिटेन में अक्सर ही सिखों की पगड़ी का मज़ाक उड़ाया जाता है. ऐसा ही कुछ सरदार रूबेन सिंह के साथ हुआ था. वह लंदन में  AlldayPA  कंपनी के सीईओ हैं. एक अंग्रेज ने उनकी पगड़ी का मज़ाक उड़ाते हुए उसे ‘बैंडेज’ कहा था. उस अपमान का बदला लेने के लिए रूबेन ने अपनी सभी पगड़ी के रंग के अनुसार रॉल्स रॉयस कार खरीद ली.

जब उनकी पगड़ी को अंग्रेज ने बैंडेज कहा था तो उस अपमान का बदला लेने के लिए रूबेन ने ट्वि‍टर पर लि‍खा, ‘हाल ही में कि‍सी ने मेरी टर्बन को ‘बैंडेज’ कहा. टर्बन मेरा ताज और मेरा गर्व है. उन्‍होंने उस अंग्रेज को चैलेंज कि‍या कि‍ वह अपनी टर्बन को अपनी रॉल्‍स रॉयस कारों के साथ मैच करेंगे और वो भी पूरे हफ्ते. अंग्रेज ने शर्त लगाई थी कि‍ रूबेन सिंह अपनी टर्बन को अपनी कार के रंग के समान सात दि‍नों तक नहीं रख सकते, मगर उस अंग्रेज़ का अनुमान पूरी तरह से गलत निकला.

रूबेन ने अपना चैलेंज पूरा करते हुए हर दिन पहनी जानी वाली अपनी पगड़ी के रंग के अनुसार घर पर रॉल्स रॉयस खड़ी कर दी.

यानी जिस दिन लाल रंग की पगड़ी पहनी उस दिन लाल रॉल्स रॉयस, इसी तरह जिस दिन पीली रंग की पगड़ी पहनी उस दिन पीली रंग की रॉल्स रॉयस खड़ी कर दी. ऐसा  उन्होंने 7 दिन तक लगातार किया.

पगड़ी के कलर के साथ रॉल्‍स रॉयस को मैच करने वाले सिख अरबपति‍ की फोटो सबसे पहले भारतीय बॉडीबि‍ल्‍डर वरि‍न्‍दर गुहमान ने फेसबुक पर पोस्‍ट की थी और यह पोस्‍ट वायरल हो गई.

आज अरबपति बिज़नेस मैन बन चुके रूबेन सिंह ने बहुत कम उम्र में ही बिज़नेस शुरू किया था.

उन्होंने 17 साल की उम्र में ही मिस एटीट्यूट नाम से एक फैशन चेन की शुरुआत की थी. शुरुआती दिनों में वो लगातार 20 घंटे काम किया करते थे. 90 के दशक में ये ब्रांड ब्रिटेन में काफी पॉप्युलर था, मगर बिज़नेस को बढ़ाने के चक्कर में व कर्ज मे डूब गए और आखिरकार उन्हें अपना बि‍जनेस मात्र 1 पौंड (करीब 80 रुपए) में बेचना पड़ा था.

इसके बाद रूबेन सिंह को अपने दूसरे बि‍जनेस alldayPA पर अपना कंट्रोल खोना पड़ा क्‍योंकि‍ साल 2007 में वह दि‍वालि‍या हो गए थे. इसके बाद 2007 से 2017 के बीच सिंह ने कड़ी मेहनत से दोबारा सफलतापूर्वक alldayPA पर अपना कंट्रोल वापस हासि‍ल कि‍या और सीईओ बने.

रूबने सिंह से जिस तरह से अपनी पगड़ी का मज़ाक उड़ाने वाले को जवाब दिया है वाकई बहुत दिलचस्प है. इस वाकये के बाद उम्मीद है ब्रिटिश भारतीय संस्सृति और लोगों का अपमान करना बंद कर देंगे.

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