कहते हैं दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इन दिनों कुछ ऐसा ही हाल शिवसेना और कांग्रेस का हो रखा है. बीजेपी से बरसो पुरानी दोस्ती टूटने के बाद शिवसेना और बीजेपी में 36 का आंकड़ा हो गया है और अब कांग्रेस और शिवसेना करीब आती दिख रही है. तभी तो कांग्रेस के युवराज ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई देकर जता दिया कि वो उन्हें उद्धव की कितनी परवाह है, मगर मतलब की राजनीति में कोई भी बात बेमतलब नहीं होती, राहुल ने भी यूं ही उद्धव को विश नहीं किया, बल्कि इसके सियासी मायने हैं.
अगला लोकसभा चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं, उससे ये तो यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता की नरेंद्र मोदी 2014 की जीत को दोहरा पाएंगे, जीत भी गए तो पूर्ण बहुमत की राह मुश्किल दिख रही है.
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की दोस्ती बरसों पुरानी थी, मगर पिछले 4 सालों से इनकी दोस्ती मे दरार आ गई थी और आखिरकार टूट ही गई. उद्धव ठाकरे ने जहां शिवसेना के अकेले चुनाव लड़ने की बात कहीं, वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी अपने कार्यकर्ताओं से महाराष्ट्र की सभी सीटों पर अकेले चुनाव के लिए तैयार रहने की बात कह चुके हैं.
शिवसेना-बीजेपी की फूट का फायदा अब कांग्रेस उठाने की जुगत मे है. इसके लिए राहुल गांधी ने तो कोशिशें शुरू कर ही दी है और उद्धव को जन्मदिन की बधाई इसी कोशिश की एक कड़ी है. राहुल ने ट्विट के ज़रिए उद्धव को बधाई देते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की.
Best wishes to Shri Uddhav Thackeray ji, on his birthday. I wish him good health and happiness always.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 27, 2018
वैसे सिर्फ कांग्रेस ही शिवसेना से दोस्ती करना नहीं चाहती, शिवसेना की मंशा भी कुछ ऐसी ही नज़र आती हैं, तभी तो पिछले कुछ समय में कांग्रेस को लेकर हमेशा से आक्रामक रही शिवेसना नरम पड़ चुकी है. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ने सिर्फ उसने राहुल गांधी के भाषण की तारीफ की, बल्कि पीएम मोदी से गले मिलने पर भी राहुल की जमकर तारीफ की. इससे तो यही लगता है कि दोनों दोस्ती के लिए बेताब है.
आपको बता दें कि जब दो साल पहले बृहन्मुंबई नगर निगम के चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना और भाजपा बहुमत से दूर रह गई थीं, उस दौरान एक समय तो अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस भाजपा को रोकने के लिए शिवसेना को भी समर्थन देने के लिए तैयार हो गई थी, लेकिन बाद में फिर शिवसेना और भाजपा ने बीएमसी में अपनी सरकार बनाई.
बहरहाल, उस वक़्त तो कांग्रेस की मंशा पूरी नहीं हो पाई, लेकिन अब बीजेपी से अलग होने के बाद हो सकता है शिवसेना उससे दोस्ती कर ले और शायद ये गठंबंधन मोदी लहर को दोबारा आने से रोक सके.