अपने प्यारे प्रधानमंत्री को देश विदेश घूमने का चस्का लगा है.
जब कि विदेश मंत्री देश में बैठकर मोदी को देख कर इंटर्नशिप कर रही है. इस में बुरा कुछ भी नहीं है. खुद मोदी विदेशों से उधोग को भारत लाने का रास्ता दिखा रहे है. इससे बड़ी क्या बात होगी. इसके लिए वो चीन भी गए थे. तब भाजपा बड़े अभिमान से पुराना घिसा पिटा नारा लगाते हुए सामने आई, वो था “हिंदु चीनी भाई भाई”.
उन्ही कुछ दिनों में भारत की सीमा में घुस आये चीनी सैनिको ने अपना डेरा जमा दिया, फिर तमाम जद्दो जहद के बाद वो अपना तम्बू लेकर अपनी सीमा में चले गये.
अभी हाल ही में चीन के राष्ट्रपती ने यह बोल कर नया बिवाद खड़ा कर दिया की मुंबई हमले में भारत ने पर्याप्त सबुत नहीं दिए पाकिस्तान को. ऐसे में पुराने घोष को दोहराना कितना मुनासिफ है?
हिंदु चीनी सौतेले भाई कैसे ?
जैसा की एक उदाहरण मैंने ऊपर दिया है.
ठीक वही घटना कई बार होते रहती है. चीन का यह सपना है की वो भारत से सटे सभी देश और भारत की सीमा से लगे जगहों पर अपना झंडा लहराए. हमेशा से ही भारत के नेता चीन से उद्योग लाने के चक्कर में उनसे हाथ मिलाने पर उतारू रहते है.
चीन भी बड़े अदब के साथ अपना हाठ आगे करता है.
किंतु सीमा पर अपने जवानों को भारत के खिलाफ़ कार्यवाही करने से नहीं रोकता. भारत का दिल इतना बड़ा है की शाति और एकता के लिए उसने अपने दोनों हाथो को काट कर उनको अलग देशो में तबदील होने दिया.
बावजूद इसके चीन को अकल नहीं आती, फिर तो आज के ज़माने में भाई नहीं तो सौतेला भाई बन गया है.
पाक चीनी सगे भाई कैसे ?
आज तक भारत एक भ्रम में जी रहा था की चीन भी उसका सगा भाई है. किंतु यह बात गलत निकली जब चीन ने भारत को कई धोखे देने के बावजूद एक बड़े फैसले में पाक का समर्थन सीना ठोक कर किया. किसी समय पाकिस्तान भारत का अंग था इस बात से भी अब भारतियों को घिन आने लगी है. पाकिस्तान के नापाक इरादे खुद को तो तबाह कर रहा है साथ में दुसरे देशो को बर्बाद होने से नहीं रोकना चाह रहा है.
हाल ही में पकिस्तान ने जकी उर्रहमान लाखवी को रिहा कर दिया. वैसे भी पकिस्तान के जेल के अंदर हो या बाहर, आंतकवादियों की सबसे सुरक्षित जगह है.
भारत ने मुंबई बम ब्लास्ट के सारे दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए संयुक्त राष्ट्र की परिषद् में अपनी बात रखी, की सयुक्त राष्ट्र पाकिस्तान की पैरवी करना छोड़ दे.
उसी समय चीन ने पकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत के दावों को यह कर चुटकियों में उड़ा दिया की भारत के पास पर्याप्त सवूत नहीं है. जब कि पाकिस्तान भारत में घुसने की कोशिष हमेशा करता है.
यह बात साबित करती है कि दुश्मन दुश्मन सगे भाई होते है.
कौन है जकीउर्रहमान लाखवी?
मुंबई पर २६/११ का आत्म घाती हमले का सूत्रधार है जकीउर्रहमान लखवी. साथ में भारत में कई आतंकवादी गतविधियों में लखवी शामिल रहा है. ये कुख्यात आतंकवादी ने पाकिस्तान में भी कई हमले कायम किए है.
बावजूद इसके बीते 18 दिसंबर को पकिस्तान जज ने पर्याप्त सबूत न होने के कारण लखवी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया.
वैसे, लखवी हो या कोई भी आतंकवादी जेल में रहे या बाहर, कोई फर्क नहीं पड़ता. पाकिस्तान में उसका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है.
सभी आतंकवादियों का सुरक्षित घर पाकिस्तान है.
किंतु भारत इससे कभी सीख नहीं लेता और हमेशा ही पकिस्तान से हाथ मिलाकर अपनी नाक कटवाते रहता है.और पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों बाज़ नहीं आता है, राजनीतिक कारणों से पडोसी मुल्क भी अपनी राज़नीती की रोटिया सेकने से बाज़ नहीं आते है, परन्तु वो भूल रहे है की आतंकवाद का कोई जात और धरम नहीं होता है. एक न एक दिन उन्हें भी भुगतना होगा, अमेरिका इसका बड़ा उदाहरण है वर्ड ट्रेड टावर पर हमला.