प्रधानमंत्री की तारीफ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है। भारत को योग का जन्मदाता कहा जाता है लेकिन इस बात को साबित मोदी जी ने इंटरनेशन योग दिवस को घोषित करवाकर कर दिया। इसके बाद पूरी दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया कि मोदी जी के वाकई में देश को तरक्की पर लेकर जा सकते हैं।
आपने भी मोदी जी को वो भाषण तो सुना ही होगा जिसमें उन्होंने कहा था कि वो साल 2020 तक भारत के हर व्यक्ति को अपना घर देना चाहते हैं और उन्होंने इस तरफ अपना काम भी शुरु कर दिया है। विदेश से आने वाले प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी मोदी जी की तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं।
अब ये तो थी मोदी जी के आज के जीवन की बात लेकिन उनके अतीत की बात करें तो उनके जीवन की ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में कम ही चर्चा होती है।
आज हम आपको उन्हीं गुप्त और कम चर्चित बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
राजा बनेगा या संत
जब मोदी जी 12 साल के थे तो उनकी मां ने वाडनगर के एक ज्योतिषी को उनकी कुंडली दिखाई थी। उस ज्योतिषी ने बताया था कि तुम्हारा बेटा या तो राजा बनेगा या फिर शंकराचार्य जैसा महान संत। मोदी जी का जन्म 17 सितंबर 1950 को वृश्चिक लग्न, कर्क नवांश, वृश्चिक राशि में हुआ था।
कैसे बने संत
जी हां, अपने आरंभिक जीवन में मोदी जी संत बन गए थे। बचपन में जब कोई साधु दिखता तो वो उनके पीछे-पीछे चलने लगते थे। ऐसे में उनके माता को ये चिंता सताने लगी कि कहीं वो सन्यासी ना बन जाएं। बस इसी वजह से उनकी शादी जसोदाबेन से करवा दी गई। बाल विवाह के दौर में शादी के बाद लड़की को गौना रखने का प्रचलन था।
विवाह के कुछ साल बाद मां हीराबेन ने नरेंद्र से कहा कि अब तुम्हारे गौने की बात चल रही है। इस बात को सुनकर मोदी जी को गुस्सा आ गया था और उन्होंने कहा कि वो शादी के चक्कर में नहीं फंसना चाहते हैं। वह तो हिमालय जाकर जीवन के असल महत्व के बारे में जानना चाहते हैं। इसके बावजूद उनके पूरे परिवार ने उन पर गौने का दबाव बनाया। इसी के चलते वो रात के अंधेरे में घर छोड़कर चले गए थे।
2 साल तक मोदी जी हिमालय की गुफाओं में साधुओं की तरह घूमते रहे और इस दौरान एक साधु से उनकी मुलाकात हुई। उस साधु ने मोदी जी से हिमालय में भटकने का कारण पूछा। तो उन्होंने बताया कि वो ईश्वर की खोज में यहां आए हैं।
तब साधु महाराज ने मोदी जी से कहा कि तुम्हारी उम्र हिमालय की कंदराओं में भटकने की नहीं है। समाज की सेवा करके भी तुम्हें ईश्वर मिल सकते हैं। इसके बाद मोदी जी घर तो लौट आए लेकिन वैवाहिक जीवन से मुंह मोड़ चुके थे। 17 साल की उम्र में ही उन्होंने सन्यास लेकर 1967 में बेलूर मठ भी गए थे। वहां पर उनकी मुलाकात स्वामी माधवानंद से हुई थी।
इसके बाद मोदी जी ने बीजेपी पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनैतिक जीवन का आरंभ किया और यहां तक पहुंचे।