पकिस्तान शायद ‘आज’ यह भूल रहा है कि वह हिन्दुस्तान का महज़ एक हिस्सा भर था. और इसकी कई निशानियाँ पाकिस्तान में आज भी पाई जाती हैं.
और इन कई निशानियों में से एक है पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर.
आपको शायद यकीन ना हो जब में कहूँ कि यह मंदिर कम से कम 8000 साल पुराना है.
इस मंदिर के अस्तित्व को लेकर कई सारी कहानियां रची गई हैं. कुछ लोगों का मानना है कि शिव और सती ने अपना दाम्पत्य जीवन यहीं, कटासराज में ही बिताया था. ऐसा कहा जाता है कि सती की मृत्यु के बाद शिव के आँखों से गिरे आंसुओं से कटासराज मंदिर में तालाब बना और यह नीले, साफ़ पानी का तालाब आज भी कायम है.
हिंदू मान्यताओं के हिसाब से यदि कोई इस तालाब में नहा ले या कम से कम एक डुबकी लगा ले तो वह सभी पापों से मुक्त हो जाएगा.
सन 1947 के पार्टीशन के वक़्त इस मंदिर के आहाते में कई हिंदू रहते थे लेकिन पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ की गई हिंसा की वजह से कई लोग मंदिर के आहाते को छोड़कर हिन्दुस्तान चले आये. इस इलाके के मुसलमान और हिन्दुओं में आपसी भाईचारा था इसलिए पार्टीशन के वक़्त यहाँ के हिन्दुओं को सही सलामत चकवाल के बाहर तक पहुचाने में यहाँ के मुसलामानों ने बहुत मदद की थी.
शायद ये कटासराज का असर ही था कि कुछ समय के लिए दोनों कौमों ने अपनी दुश्मनी उस समय के लिए भुला दी थी.
कटासराज को लेकर अन्य कहानियां भी काफी मशहूर हैं.
एक कहानी के मुताबिक़ पांडवों ने अपने वनवास का कुछ समय यहीं पे बिताया था. एक और कहानी के मुताबिक़ श्री कृष्ण ने स्वयं इस मंदिर की स्थापना की थी और अपने हाथों से बना एक शिवलिंग इस मंदिर में सजाया था.
सन 2005 में BJP अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवानी ने इस मंदिर के संरक्षण की बात पाकिस्तान सरकार से की थी और उसके बाद इस मंदिर का संरक्षण भी किया गया.
यह मंदिर एक बेहद अच्छा उदाहरण है कि धर्म आपको किस तरह एकजुट करता है और किस तरह लोगों में भाईचारा बढाता है लेकिन अब दुःख की बात यह है कि कटासराज मंदिर का तालाब धीरे-धीरे सूख रहा है.
ऐसे समय पर हम हिन्दुस्तानी बस इसी उम्मीद में रुके रह सकते हैं कि पाकिस्तान सरकार इसके बारे में जल्द ही कुछ करे.
ज़िन्दगी में एक बार ही सही लेकिन कटासराज मंदिर ज़रूर जाइएगा क्योंकि इतना खूबसूरत मंदिर शायद ही आप फिर कभी देख सकें.
धन्यवाद