चीन के ‘यूलिन’ शहर में हर साल एक त्यौहार मनाया जाता है जिसमें कम से कम 15000 से लेकर 20000 कुत्तों को मारा जाता है, जलाया जाता है, उनके जिंदा होने पर भी उनकी खाल उधेड़ी जाती है और उनको इस तरह की मौत दी जाती है कि सोच कर ही डर लगता है.
पिछले कुछ दिनों से इन्टरनेट पर हो रही प्रोटेस्ट की वजह से ऐसा सुनने में आया है कि यूलीन का यह त्यौहार अब रद्द कर दिया गया है!
तो इसका मतलब यह समझा जाए कि लोग, मुर्गियों, बकरियों/बकरों, गायों, सुअरों और अन्य जीवों से ज्यादा कुत्तों से प्यार करते हैं.
जिन लोगों ने यूलिन के इस त्यौहार के विरोध में इन्टरनेट कैंपेनें शुरू की थीं, उनसे मेरा एक सवाल है कि क्या कुत्तों की ज़िन्दगी ही ज़िन्दगी है?
इसमें कोई सवाल नहीं है कि यूलिन में कुत्तों के साथ, इस त्यौहार में जो कुछ भी होता है बिलकुल गलत है लेकिन हम इस सच को नकार नहीं सकते कि दुनिया में कई जानवरों का क़त्ल इसी तरह होता है.
अगर आप इस सच्चाई को नकारकर यूलिन में हो रहे इस त्यौहार का विरोध करते हो तो आप एक हिपोक्रिट हो!
आप एक पाखंडी हैं जो केवल दया का दिखावा कर रहा है.
ऐसा संभव है कि आप भी नॉन-वेज खाते हैं. तो क्या आपका खाना काटने से पहले ये कहता है, “मुझे काट कर, तलकर, खालो और फिर मेरी टट्टी बना दो”?
इस त्यौहार में क्या गलत है?
इस चीज़ पर हमारा ध्यान होना चाहिए!
कुत्ते अपने मालिकों से चुराए जाते हैं, उन्हें तडपाया जाता है! हमें इन चीज़ो के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए नाहि कई अन्य फ़िज़ूल की बातों पर!
कई लोग होंगे जो घर बैठे, फेसबुक या ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट शेयर कर देते हैं और सोच लेते हैं कि, चलो भई! मैने अपना काम कर दिया! लेकिन आप ज़रा खुद से सोचिये, आप जो भी कर रहे हो, जो भी सोच रहे हो और जो भी बोल रहे हो, क्या वह बात सही है?
आपको अपने आप इस सवाल का जवाब मिल जाएगा!
मेरा आप सबसे एक सवाल है!
युलिन के त्यौहार को आखिर क्यों बैन करना चाहिए?
अगर कोई जवाब है तो नीचे कमेंट कर दीजिये!
पढने के लिए धन्यवाद!