लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट – दुनियाभर के कई हिस्सों में आज भी महिलाओं के खिलाफ कई तरह की घिनौनी करतूत खुले तौर पे की जाती रहती है.
सारा समाज मूकदर्शक बनकर मज़े लेने और उन घिनौने करतूतों को रोकने के बजाए बढ़ावा देने का काम करती रहती है. भला करे भी क्यों नहीं आखिर वो भी तो उसी समाज के हिस्सों में से होते हैं.
आज मै आपको लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट के बारे में जो कुछ बताने जा रही हूँ आपको शायद उसपे यकीन न हो लेकिन पूरी तरह सच है, हो सकता है की आपने इसके बारे में पहले भी कभी किसी से सुना होगा या फिर कहीं पढ़ा होगा. और आप सोचेंगे की ये सदियों पुरानी बात होगी लेकिन ऐसा नहीं हैं क्योंकि ऐसा आज भी निरंतर कई समाज में चला आ रहा हैं.
महिलाओं के प्रति इस अमानवीय व्यवहार को जानकर आपका दिल भी पसीज जाएगा. आज भी इन घिनौने तरीकों से लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट कराइ जाती हैं और महिलाएं पीड़िता बनकर अपने ऊपर होनेवाले जुर्म के खिलाफ एक आवाज़ तक नहीं लगा पाती हैं.
आज भले ही हमने चांद और मंगल की दूरी तय कर ली हो लेकिन जब घटिया सोच की बात की जाए तो उससे हम उबर नहीं पाए हैं.
आज के उन्नत समाज में भी लड़कियों की वर्जिनिटी को उसके संस्कारों से जोड़ा जाता है. शादी की बात जैसे ही आती है तो मामला उसकी वर्जिनिटी पर अटक कर रह जाता है. नासिक और बेंगलुरु की बात करें तो यहां भी कुछ ऐसा ही है. लड़की की शादी से पहले ये जानकारी हासिल करना बड़ा मुद्दा होता है कि अपनी गर्लफ्रेंड या फिर अपनी पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में पता कैसे लगा सके?
जबकि इसका एक मात्र जवाब है कि ऐसा कोई भी तरीका है ही नहीं.
साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है बावजूद इसके हमारी धारणा यही कहती है कि जब कोई लड़की पहली बार शारीरिक संबंध बनाती है तो उस समय ब्लीडिंग होना अनिवार्य है. लेकिन सच तो ये है कि ये धारणा पूरी तरह गलत है. खैर इस बारे में यहां हम ज्यादा बात नहीं करेंगे क्योंकि यहां हम आपको बता रहे हैं कि आज के समय में भी कइ ऐसे समुदाय हैं जहां लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट करने के लिए बेहद घिलौने तरीके अपनाए जाते हैं.
स्कॉलरशिप के लिए वर्जिनिटी टेस्ट
इसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा. ये बात आपको हैरान कर देगी लेकिन सच है. हम भारत देश की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि साउथ अफ्रीका के उथूकेलख में मौजूद स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को उस जिला की जो महिला मेयर है, वो स्कॉलरशिप देती है. जिन लड़कियों को ये स्कॉलरशिप चाहिए होता है उसे वर्जिनिटी टेस्ट देना पड़ता है. साफ तौर पर कहे तो स्कॉलरशिप पाने के लिए लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट देना होता है अगर उसमें पास हो गई तो उन्हें स्कॉलरशिप मिलता है अथवा नहीं.
शादी के बाद वर्जिनिटी टेस्ट
शादी के बाद लड़का लड़की को एक कमरे में भेज दिया जाता है उस कमरे से पहले से ही नुकीली चीजें बाहर निकाल दी जाती है. लड़की की चूड़ियों को गिनकर कपड़े से बांध दिए जाते हैं. और अब बारी आती है लड़के के कमरे में जाने की तो लड़का अपने साथ एक सफेद चादर लेकर जाता है. कुछ समय बाद लड़का वो सफेद चादर अपने साथ लेकर बाहर आता है. उस चादर पर अगर खून के निशान है तो इसका मतलब है कि लड़की वर्जिन है यानी कि कुंवारी है. लेकिन अगर चादर पर खून के निशान नहीं है तो इसका मतलब ये निकाला जाता है कि लड़की ने शादी से पहले भी किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं और वो लड़की ‘खराब’ है.
अगर लड़की इस टेस्ट में पास हो गई फिर तो ठीक है नहीं तो समाज में हर तरीके से उसे प्रताड़ित किया जाता है. उसके साथ मारपीट की जाती है. और लड़की पर इस बात का काफी दबाव डाला जाता है कि वह लड़का कौन था जिसके साथ तुमने संबंध बनाए थे. ऐसे में अगर वो लड़की गलती से भी किसी लड़के का नाम ले लेती है तो उस लड़के को घसीटकर पंचायत के सामने लाया जाता है और उस पर कई तरह के दंड लगाए जाते हैं जिसमें आर्थिक दंड भी शामिल होते हैं. उसके घरों में तोड़-फोड़ मचाई जाती है. इतना ही नहीं लड़की के मायके वालों पर भी आर्थिक दंड लगाया जाता है और कई बार तो लड़का उस दुल्हन को हमेशा के लिए ठुकरा भी देता है ये कहकर कि वो कुंवारी नहीं है.
दोस्तों बता दें कि इस तरह की प्रथा कंजरभाट समाज में लगातार चली आ रही है. भारत देश के महाराष्ट्र में इस समुदाय की आबादी लगभग 50,000 की है. ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि देश के दूसरे हिस्से में भी ये होते हैं. जैसे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में.
सफेद कपड़े में समेट कर रखते हैं
मिस्र और सऊदी अरब जैसे कई मुस्लिम देशों में लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट करने की एक प्रथा निरंतर चली आ रही है जिसमें शादी के दिन ही दुल्हन को अपने अंगूठे को एक सफेद कपड़े में लपेटना होता है और उस अंगूठे को अपनी योनि में डालना होता है. कुछ समय बाद बाहर निकालने पर उस कपड़े पर अगर खून लगा हुआ होता है तो इसका मतलब होता है कि लड़की वर्जिन है नहीं तो वर्जिन नहीं है. मतलब कि उसने पहले भी किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं.
लड़के के स्कार्फ के साथ
यूथोपियन कल्चर में जिस लड़के की शादी होती है उसके स्कार्फ के ऊपर सुहागरात मनाने के लिए कहा जाता है. सुहागरात के बाद अगर उस स्कार्फ पर खून के निशान मिलते हैं तब तो ठीक है. लेकिन अगर खून के निशान नहीं दिखते हैं तो उसके साथ काफी मारपीट की जाती है.
पानी के अंदर सांस रोक कर रहना
भारत देश के कई समुदाय ऐसे हैं जहां लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट के लिए अजीबो-गरीब तरीके अपनाए जाते हैं. इसी में एक है महिला को पानी के अंदर सांस रोककर तब तक रहना होता है जब तक बाहर एक व्यक्ति सौ कदम चले. जो महिला इस टेस्ट में पास हो जाती है उसे कुंवारी मान लिया जाता है नहीं तो उसे अपवित्र समझा जाता है.
कितने आश्चर्य की बात है कि आज हम अपने आप को उन्नत और हाई क्लास सोच वाले मानते हैं. 21वीं सदी में पहुंचने के बावजूद कई देशों के कई समुदायों में लड़कियों की वर्जिनिटी को उसकी पवित्रता के साथ जोड़ा जाता है.
ना जाने इस तरह के समाज और उनके घटिया सोचों में बदलाव कब तक आ पाएगा ?
आखिर पुरुष से कोई इस तरह के सवाल क्यों नहीं करता ? घिन्न आती है हमें ऐसी घटिया सोच रखने वाले पुरुष प्रधान समाज से. जहां महिलाओं को मात्र इस्तेमाल की वस्तु समझा जाए.