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छगन भुजबल : कहानी फर्श से अर्श तक की

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शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे को छोड़ने की या धोखा देने की हिम्मत मामूली नहीं होती.

जब छगन भुजबल ने ये हिम्मत दिखाई थी, तब शिवसैनिक उन्हें पागलों की तरह ढूँढ रहे थे और भुजबल अपनी जान बचाते छिपते फिर रहे थे.

पर एक पक्का राजनीतिज्ञ अपना भविष्य का निर्माण खुद करता है.

भुजबल ने भी वही किया.

शिवसेना की विचारधारा और बालासाहेब के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर एक सब्जी बेचने वाला नौजवान राजनीति में आता है, कुछ कर गुजरने के इरादे से. 1960 में भुजबल राजनीति में आते हैं और जल्द ही अपनी अलग पहचान बना लेते हैं. शिवसेना को महाराष्ट्र के कोने-कोने तक पहुँचाने में छगन भुजबल का बड़ा हाथ रहा है.

भुजबल OBC क्लास के लिए भी बड़े नेता बनकर उभरे.

महाराष्ट्र में गोपीनाथ मुंडे और छगन भुजबल दो ऐसे नेता थे जिन्होंने (OBC क्लास) को रिप्रेजेंट किया.

२५ साल तक शिवसेना में रहे भुजबल ने शाखा प्रमुख से लेकर मेयर तक का सफ़र तय किया.

भुजबल ने अपने मेयर रहने के दौरान मुंबई में एक कैंपेन शुरू किया “सुन्दर मुंबई, मराठी मुंबई”.  इसी कैंपेन के दौरान भुजबल ने मुंबई के खुले स्थानों, बगीचे, चौराहों पर पेड़ लगाना शुरू किया. कंक्रीट के इस जंगल में थोड़ी हरियाली लाने के इस प्रयास की सभी ने सराहना की और ऊंचा उड़ने की चाह में भुजबल ने 1991 में शिवसेना को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. बाद में जब शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया तो भुजबल भी पवार के साथ एनसीपी चले गए.

उसके बाद भुजबल आगे बढ़ते ही गए. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री के साथ-साथ कई मंत्री पद संभाले. इन सबके साथ-साथ भुजबल की सम्पति भी बढती ही चली गयी. भुजबल पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जो इस प्रकार हैं-

1- महाराष्ट्र सदन घोटाला-
फिलहाल छगन भुजबल की नाक में दम कर देने वाला घोटाला कहे तो गलत नहीं होगा. भुजबल आजकल इसी वजह से सुर्ख़ियों में हैं. राजधानी दिल्ली में नयी महाराष्ट्र सदन की नीव डाली गयी. लोक निर्माण विभाग ने बिना निविदाएँ आमंत्रित किये एक ठेकेदार चमनकर को महाराष्ट्र सदन का कार्य सौप दिया. प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित बजट 50 करोड़ से 150 करोड़ तक पहुँच गया. इस कंट्रोवर्सी में तब नया मोड़ आया जब पता चला की चमनकर ने इसी प्रोजेक्ट का सब कॉन्ट्रैक्ट ओरिजिन इंफ्रास्ट्रक्चर को दिया हुआ है, जो भुजबल के नाम से ही एफिलिएटेड है.

2 – स्टाम्प पेपर घोटाला-
2004 में ब्रेन मपिंग टेस्ट के दौरान अब्दुल करीम तेलगी ने माना था की उसने भुजबल को पेमेंट दिया. स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम इसकी जांच कर रही है. सीबीआई ने भी इसी सिलसिले में भुजबल से पूछताछ की. हालांकि भुजबल ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया.

3 – कलिना में जमीन आबंटन-
सांताक्रुज़ पूर्व में कलीना का एक प्राइम प्लाट एक प्राइवेट डेवलपर को देने से राज्य को काफी नुकसान उठाना पड़ा. ACB ने भुजबल और 5 और लोगों पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया है.

4- नवी मुंबई बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन-
2010 में डेवलपर ने फ्लैट के कुल कीमत का 10 प्रतिशत फ्लैट बुकिंग अमाउंट के तौर पर लिया. पर ये बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन शुरू ही नहीं हुआ. 2300 लोगो ने इस बिल्डिंग में घर बुक कर लिया था. ये प्रोजेक्ट जिस कंपनी ने प्रमोट किया वो भुजबल परिवार की ही कंपनी थी.
ये तो थी भ्रष्टाचार की बातें.

इसके अलावा भी भुजबल की काफी आलोचना की जाती है. नासिक एक शांत जिला माना जाता था. लेकिन भुजबल के राजनितिक छत्रछाया में यहाँ की कानून व्यवस्था एकदम ख़राब हो गयी. सारे क्षेत्रों में रिसेशन आ गया, दिन दहाड़े डकैती, चोरी, गाड़ियों में आग लगा देने की घटनाएं बढती ही चली गयी.

आज भुजबल लगभग 2000 करोड़ की सम्पति के मालिक हैं.

सच मानिये तो ये आंकड़ा काफी कम बताया जा रहा है. अगर सूत्रों की माने तो आज भुजबल की सम्पति 2650 करोड़ के आस पास है.

भले ही भुजबल का सफ़र सब्जी बेचने से शुरू हुआ था पर आज भुजबल अथाह सम्पति के मालिक है.

इसे कहते हैं “फर्श से अर्श तक का सफ़र”..

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