महिलाओं का यौन शोषण – टीचर का काम सबसे सम्मानजनक माना जाता है और माता-पिता के बाद गुरु ही आदरणीय होते हैं।
आज के ज़माने में इस प्रोफेशन पर भी कई दाग लग गए हैं। हाल ही में टीचिंग के स्तर को सुधारने के लिए काम करने वाली ब्रिटेन की एक संस्था ने सर्वे करवाया था। इस सर्वे में सामने आया कि ब्रिटेन में लगभग 81 फीसदी शिक्षक यौन शोषण का शिकार हुए हैं।
इस सर्वे में 1200 से भी ज्यादा महिलाओं को शामिल किया गया था जिसमें महिलाओं का यौन शोषण की बात कही। महिलाओं ने बताया कि जब से वो इस प्रोफेशन में आईं हैं तभी से उन्हें उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है।
हालांकि, सिर्फ 5 फीसदी महिला शिक्षक ही ऐसी रहीं जिन्होंने माना कि करियर की शुरुआत में उन्हें यौन शोषण का शिकार नहीं होना पड़ा था। इसके अलावा इस सर्वे में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए।
इस सर्वे में पता चला कि सिर्फ शिक्षिकाएं ही नहीं बल्कि कई वर्किंग पैरेंट्स यहां तक कि सीनियर पदों पर बैठे लोगों को भी वर्कप्लेस पर शोषण का शिकार होना पड़ा। इनमें से कई लोगों की तो आपत्तिजनक तस्वीरें भी ली गईं।
इस सर्वे के मुताबिक आधी महिला शिक्षकों पर सेक्स संबंधी अनुचित कमेंट किए गए, जबकि कई शिक्षकों से सेक्स की डिमांड भी की गई।
इसके साथ ही एक नेशनल एजुकेशन यूनियन के नेता ने बताया कि अब लड़कियां स्कूल स्कर्ट के नीचे शॉर्ट्स पहनने लगी हैं ताकि उनके क्लासमेट उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें ना ले सकें। वहीं दूसरी ओर एक रिसर्च में ये भी खुलासा हुआ है कि अधेड़ उम्र की औरतों की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। इनके पास अपने बच्चों और अपने घर के बुजुर्गों की भी जिम्मेदारी है। अधेड़ उम्र के पुरुष भी इस जिम्मेदारी में हाथ बटा रहे हैं लेकिन फिर भी फर्क बहुत ज्यादा नहीं है।
घर में एक्स्ट्रा इनकम के लिए भी औरतों की नौकरी करने को जरूरत समझा जाता है। भारतीय परिवारों में ये धारणा बहुत मजबूत है कि यहां घर के काम सिर्फ औरते ही करती हैं।
इस मामले में लड़कियां ही नहीं बल्कि महिला शिक्षक भी इससे अछूती नहीं रही हैं। एक स्टडी में भी ये बात सामने आई है कि करीब 3 फीसदी महिला शिक्षक ऐसी हैं जिनकी आपत्तिजनक तस्वीरें ली गईं और वीडियो बनाए गए।
एक टीचर ने बताया कि उसके डिपार्टमेंट के हेड ने ही उसका यौन शोषण किया और फिर उसके बारे में ही गलत बातें फैला दीं। इस वजह से उस टीचर का तलाक तक हो गया।
यौन शोषण की इस तरह की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुख की बात तो ये है कि इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम भी तो नहीं उठाए जा रहे हैं।
ये है महिलाओं का यौन शोषण – भारत में तो शायद टीचरों के साथ ऐसा ना होता है लेकिन वर्कप्लेस पर यौन शोषण की खबरें सामने आती रहती हैं। भारत में भी टीचरों की स्थिति को लेकर सर्वे करवाया जाना चाहिए ताकि हमें भी पता चले कि शिक्षकों को गुरु समझने वाले देश में उनके साथ क्या बर्ताव होता है।