अक्सर साइंस और भगवान को लेकर दुनिया भर में चर्चा होती रहती है.
कोई विज्ञान को ताकतवर मानता है तो कोई भगवान को. दो विचारधारा के लोग हैं. जो अलग अलग मानसिकता के होने के कारण साइंस और भगवान में भेद पैदा करते हैं. ऐसी विचार धारा हर समय में दुनिया में मौजूद रही है.
आप इस तरह के लोगों का कुछ कर नहीं सकते हैं.
आप उन्हें कितना भी समझा लें लेकिन वो नहीं मानते. उनके अनुसार उनकी मानसिकता ही विजयी है.
बार बार इस अताढ़ के सवाल उठते रहे हैं कि क्या वाकई इस ब्रह्मांड में ईश्वर का स्वरूप मौजूद है? क्या वाकई एक ऐसी ताकत है जो इंसानी जीवन के हर क्षेत्र में दखल रखती है? जिसे आम भाषा में ईश्वर कहा जाता है, क्या सच में उसका कोई वज़ूद है?
ये सवाल ही हैं जो साइंस और भगवान के बीच बड़ी खाई खड़ी करते हैं.
असल में साइंस और भगवान के रहस्य को समझना बहुत मुश्किल है.
ये आसान नहीं है, जिसे यूँ झट से समझ लिया जाए. जी हां, आप सही समझ रहे हैं, ईश्वर के अस्तित्व पर पड़े पर्दे को उठाने के लिए किए गए अत्याधिक प्रयासों के बाद अब यह प्रमाणित हो गया है कि धरती पर ईश्वर का वजूद है।आजकल हम बहुत तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भरी बातें करने लगे हैं.
कभी विज्ञान कहता है कि वही सबकुछ है तो कभी वो भगवान के सामने हार मान जाता है.
हाल ही में स्टीफन हाकिंस का निधन हुआ. बहुत बड़े वैज्ञानिक माने जाते थे और वास्तव में थे भी.
उन्होंने भी भगवान को मानने से इनकार कर दिया था. उनके अनुसार जो भी चीज़ें हैं वो सिर्फ विज्ञान की बदौलत ही हैं. यकीन कीजिए ईश्वर से जुड़े इन सवालों को भी वैज्ञानिकों ने, अपनी वैज्ञानिक तकनीकों की सहायता से ही सुलझाया है. वैसे कभी-कभी आपको हैरानी नहीं होती कि एक ओर तो हम समस्त ब्रह्मांड की रचना का श्रेय ईश्वर को देते हैं और वहीं दूसरी ओर उसके वजूद पर संदेह भी करते हैं. हालाँकि ऐसे कई नमूने हमें समय समय पर मिले हैं जब हम ये मानने को तैयार हुए हैं कि ये दोनों के बीच अजीब सा रहस्य है.
ये घटना 2008 की है. हार्वर्ड के एक तंत्रिका वैज्ञानिक इबेन एलेक्जेंडर तृतीय को ब्रेन डेड की वजह से करीब एक सप्ताह तक कोमा में रहना पड़ा, लेकिन जब वह कोमा से बाहर आए तो उन्होंने कुछ बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए जो स्वर्ग के अस्तित्व से जुड़े थे कोमा के दौरान जब उनके मस्तिष्क को स्कैन किया गया. उस दौरान बड़ा ही अजीब वाक्य हुआ.
उस दौरान डॉक्टरों ने पाया कि मस्तिष्क का वो हिस्सा, जो सुनता है, समझता है और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वह पूरी तरह बेकार हो चुका है, इसलिए उनके लिए डॉक्टरों की यही राय थी कि भले ही उनकी सांसें चलती रहें लेकिन संभावना है कि वह पूरे जीवन ब्रेन डेड की स्थिति में ही रहे.
ब्रेन डेड होने की वजह से उनके मस्तिष्क का बिल्कुल साधारण हिस्सा ही कार्यरत था. अब देखिये यहाँ पर विज्ञान जवाब दे गया था, लेकिन सही अर्थ में विज्ञान भगवान से मिल गया था.
लगभग 1 वीक के बाद ही उस व्यक्ति की हालत में सुधर हुआ. वो कोमा से बाहर हुए. डॉक्टर, विज्ञानं जो की हार मान चुके थे सब आश्चर्य से उसे देखने लगे. उस व्यक्ति ने ठीक होने के बाद साइंस और भगवान के बीच की एक कड़ी सुनाई. उसने कहा कि वो स्वर्ग से आ रहा है.
साइंस और भगवान – आप भी इस तरह से किसी बहस में न पड़ें, क्योंकि इन दोनों का रहस्य जानना आपके बस की बात नहीं है. यकीन कीजिये, क्योंकि उसी पर दुनिया कायम है.