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टेक्‍नोलॉजी की वजह से अंधे हो रहे हैं युवा !

ड्राई आई सिंड्रोम

ड्राई आई सिंड्रोम – हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में टेक्‍नोलॉजी का असर इतना ज्‍यादा है कि अब हम खाना खाते-खाते भी इससे जुड़े रहते हैं।

कुछ लोग तो वॉशरूम तक में मोबाइल फोन लेकर जाते हैं। टीवी, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्‍यूटर आदि के रूप में हम हर वक्‍त टेक्‍नोलॉजी से जुड़े रहते हैं।

हमें पता है कि इसका हमारी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है लेकिन ये सब जानते हुए भी हम इनसे दूर नहीं जा रहे हैं।

टेक्‍नोलॉजी की ही देन है ड्राई आई सिंड्रोम जोकि आंखों की एक बीमारी है। आजकल ऑफिस और घर पर भी हम टीवी, लैपटॉप, कंप्‍यूटर या मोबाइल का इस्‍तेमाल लगातार करते हैं और इसका असर हमारी आंखों पर पड़ता है।

ऑफिस में घंटों तक कंप्‍यूटर के आगे काम करना आंखों को कतई रास नहीं आता है।

ड्राई आई सिंड्रोम –

क्‍या है ड्राई आई सिंड्रोम

अब हम ऑफिस में कम से कम 8 घंटे तो लगातार कंप्‍यूटर के आगे काम करते ही हैं और फिर घर आकर भी हम अपने मोबाइल से चिपके रहते हैं।

इस वजह से ड्राई आई सिंड्रोम हो जाता है।

इस बीमारी में आंखों में आंसू बनना कम हो जाता है या फिर उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। दरअसल, आंसू, आंख के कॉर्निया व कंजक्‍टाइवा को नम व गीला रखकर उसे सूखने से बचाते हैं। हमारी आंखों में एक टिअर फिल्‍म होती है। इसकी सबसे बाहरी परत को लिपिड कहा जाता है। यही लिपिड लेयर आंसू के ज्‍यादा बहने, गर्मी या हवा में आंसू के सूखने या उड़ने को कम करती है। यह लिपिड लेयर आंखों की पलकों को चिकनाई देती हैं जिससे पलकों को झपकाने में आसानी होती है। बहुत देर तक कंप्‍यूटर पर काम करने या घंटों तक टीवी देखने या फिर एसी में रहने से आंखों की‍ टिअर फिल्‍म प्रभावित होती है और आंखें सूखने लगती हैं।

इसे ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है।

ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण

आंखों में जलन होना, चुभन महसूस होना, सूखापन लगना, खुजली होना, भारीपन रहना, आंखों में लालपन आना आदि ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण हैं। इस सिंड्रोम से पीडित लोग अपनी पलकों को बार-बार व जोर से झपकाते हैं।

इसमें दवा का असर तो कम होता है लेकिन उससे ज्‍यादा आपको सावधानी बरतने से फायदा होता है। नियमित डॉक्‍टर के बताए अनुसार आई ड्रॉप्‍स डालते रहें और समय-समय पर आईसिंग करें। अगर आपको भी ये समस्‍या है तो इससे बचने के लिए कम से कम कंप्‍यूटर का प्रयोग करें और अपने मोबाइल से भी दूरी बनाकर रखें।

अगर समय पर इस ड्राई आई सिंड्रोम का इलाज ना किया जाए तो इसकी वजह से आपकी आंखों की रोशनी तक जा सकती है। आजकल युवा अपना ज्‍यादा समय या तो सोशल मीडिया पर बिताते हैं या फिर अपने ऑफिस के लैपटॉप पर इसलिए ये सिंड्रोम उनमें ही ज्‍यादा होता है और इस वजह से वो अंधे भी हो सकते हैं। बेहतर होगा कि आप इस सिंड्रोम के होने से पहले ही सावधानी बरतना शुरु कर दें और काम करते समय बीव-बीच में टहल कर जरूर आएं और आंखों को आराम दें, एक्‍सरसाइज़ से भी फायदा होगा इसलिए इन बातों का ध्‍यान रखें।