गर्लफ्रेंड की जरूरत – इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स की लाइफ बहुत ज्यादा मुश्किल होती है।
आपने तो इंजीनियर्स के ऊपर बनने वाले जोक्स के बारे में सुना ही होगा साथ ही आपको ये भी पता होगा कि इनकी कितनी फजीहत होती है।
मैंने खुद देखा है कि लोग इंजीनियरिंग तो किसी भी टुच्ची सी इंस्टीट्यूट से कर लेते हैं लेकिन फिर उन्हें नौकरी मिलना मुश्किल हो जाता है और जब नौकरी नहीं तो मतलब की छोकरी नहीं। इंजीनियरिंग के छात्रों के पास गर्लफ्रेंड की इतनी शॉरटेज है और उनको गर्लफ्रेंड की जरूरत है कि खुद प्रधानमंत्री ने उनके लिए गर्लफ्रेंड योजना शुरु करने का फैसला कर लिया है।
जी हां, इससे पहले वाले आर्टिकल में हमने आपको बताया ही था कि प्रधानमंत्री मोदी जी इंजीनियरिंग के गर्लफ्रेंड की जरूरत समझ गए हैं और अब वो उनके लिए गर्लफ्रेंड योजना की तैयारी कर रहे हैं।
इंजीनियरिंग के छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम जी ने ये वादा किया था आने वाले कुछ सालों में हर इंजीनियर के पास गर्लफ्रेंड होगी। हर घर में फ्री बिजली दिलवाने के बाद सरकार ने इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की ओर ध्यान दिया है।
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 69 साल बाद भी इंजीनियर्स के पास कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, ये वाकई में चिंताजनक है। उन्होंने आगे कहा ‘इंजीनियरिंग के छात्रों से मैं वादा करता हूं कि दो हज़ार बीस तक आपका विकास होगा। हार्फ गर्लफ्रेंड नहीं, सबके पास होगी फुल गर्लफ्रेंड। आपको जानकर हैरानी हो रही होगी कि पीएम मोदी जैसी शख्सियत ऐसा कैसे बोल सकती है लेकिन अब तो ये चुका और अब इस पर ना तो आपको जोर है और ना हमारा।
अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि जब पीएम मोदी का इस बात पर ध्यान गया है तो वाकई में इंजीनियर्स को गर्लफ्रेंड की कितनी सख्त जरूरत होगी।
पीएम जी के इस भाषण को सुनने के बाद मेरे मन में ख्याल आया कि आखिर बाकी सारे प्रोफेशंस में से सिर्फ इंजीनियर्स को ही गर्लफ्रेंड की इतनी सख्त जरूरत क्यों होती है। जब मैंने इस मामले में रिसर्च की तो मुझे कुछ बड़ी ही दर्दनाक बातें पता चलीं जिन्हें आज मैं आपसे शेयर करने वाली हूं।
– अकसर कॉलेज में लड़कियां अपने ब्वॉयफ्रेंड के प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद करती हैं और इंजीनियरिंग में प्रोजेक्ट कितने मुश्किल होते हैं ये तो आप जानते ही होंगें। ऐसे में गर्लफ्रेंड के साथ की बहुत जरूरत पड़ती है।
– इसके अलावा हर सेमेस्टर में एग्जाम होना और प्रोजेक्ट सबमिट करना भी किसी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं है। इस टेंशन में आकर लड़के तो सुसाइड तक पहुंच जाते हैं। मज़ाक से हट कर बात करूं तो अगर गर्लफ्रेंड होगी तो लड़कों को इमोशनल सपोर्ट रहता है और वो कोई ऐसा कदम उठाने से बच सकते हैं।
– गर्लफ्रेंड के साथ घूमने-फिरने का भी बहुत मौका मिलता है जबकि इंजीनियर्स का ज्यादातर समय तो बस कैंपस में ही बीत जाता है। अगर उनकी गर्लफ्रेंड होगी तो वो पढ़ाई और प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ थोड़ी मौज-मस्ती भी कर लेंगें जिससे उनका मन खुश रहेगा।
वाकई में इंजीनियर्स को गर्लफ्रेंड की जरूरत – लेकिन आपको बता दें कि देश में इंजीनियर्स के लिए नौकरियां बहुत कम हैं और जब लड़कों के पास नौकरी ही नहीं है तो कोई लड़की उनकी गर्लफ्रेंड कैसे बनेगी।