ENG | HINDI

16 सालों से इंडिया के लिए स्टेपनी का काम कर रहा है ये विकेटकीपर

पार्थिव पटेल

9 मार्च, 1985 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्‍मे पार्थिव पटेल टेस्‍ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम उम्र में डेब्‍यू करने वाले विकेटकीपर बन गए थे।

कमज़ोर प्रदर्शन के बाद भी वो विकेट के पीछे बने रहे क्‍योंकि इंडियन टीम के पास उनके अलावा कोई और ऑप्‍शन नहीं था।

साल 2002 में इंग्‍लेंड के दौर पर भारतीय टीम गई थी, तब सीरीज़ के दूसरे टेस्‍ट में एक 17 साल के लड़के को स्‍टंप्‍स के पीछे खड़ा कर दिया था। वो कोई और नहीं पार्थिक पटेल था। 16 साल बाद भी ये खिलाड़ी साउथ अफ्रीका में विकेटकीपिंग करता दिखा। 16 सालों में इस विकेटकीपर बल्‍लेबाज़ ने बस 25 टेस्‍ट खेले हैं और 38 वनडे। 33 साल के पार्थिव पटेल का ये लंबा मगर बेहद अनिश्चित करियर इंडिया में महेंद्र सिंह धोनी पर अति-निर्भरता और विकेटकीपिंग की तरफ उदासीन रव्‍वैये का नतीजा है।

साल 2002 से अब तक अजय रात्रा,  पार्थिव पटेल, राहुल द्रविड, दिनेश कार्तिक, महेंद्र सिंह धोनी, ऋद्धिमान साहा और नमन ओझा तक को आज़मा चुके हैं। पार्थिव पटेल इन 16 सालों में टीम इंडिया के स्‍टपेनी बने हुए हैं और उनके आगे भी बने रहने की उम्‍मीद है।

अपने करियर में ऑनउ एंड ऑफ रहने के साथ ही एक अरसे के बाद पार्थिव पटेल को 2015 आईपीएल में बेहतरीन फॉर्म में देखा गया। मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए पार्थिव ने 339 रन मारे थे और उस सीज़न मुंबई चैंपियन भी बना था। तकरीन एक दशक से पार्थिव के हाथ में गुजरात की कप्‍तानी है। 2015 में ही घरेलू क्रिकेट में भी गुजरात की टीम ने विजय हजारे ट्रॉफी पार्थिव पटेल के शतर से ही जीती थी। घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद फरवरी 2016 में पार्थिव ने इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की। धोनी के अनफिट होने के चलत पार्थिव को टीम में शामिल किया गया था।

17 साल की उम्र में डेब्‍यू करने वाला पार्थिव 33 साल का हो गया है और अपनी तमाम कमजोरियों और अनिश्‍चताओं के बावजूद क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा है। वो घरेलू क्रिकेट में लगातार एक्टिव रहता है और सालभर नेशनल टीम की तरफ इसी नज़र से देखता है कि कोई कॉल आए और वो एक अनुभवी ऑप्‍शन की भूमिका निभाए। दुनिया में इस तरह के करियर विरले ही क्रिकेटरों के हुए हैं वो खुद कह चुके हैं कि अभी इनमें 5 साल की क्रिकेट बची है।

वैसे तो टीम इंडिया के पास बहुत सारे किकेटर्स हैं लेकिन उनमें से बहुत कम ही लोगों को खेलने का मौका मिलता है। क्रिकेट जगत में बस धोनी, कोहली जैसे धुरंधरों का नाम ही चमकता रहता है ।

आपको शायद सुरेश रैना जैसे क्रिकेटर्स का नाम याद भी नहीं होगा। शायद ही रैना जैसे और क्रिकेटर्स जैसे गौतम गंभीर आदि ने दमदार प्रदर्शन कभी दिया होगा लेकिन फिर भी इन्‍हें टीम इंडिया की शान और ना जाने क्‍या-क्‍या कहा जाता है। मैं पर्सनली बोलूं तो मुझे तो लगता है कि भारतीय क्रिकेट टीम बस अपना पैसा और समय ऐसे क्रिकेटर्स पर बर्बाद कर रही है जिनसे टीम को कोई फायदा नहीं होने वाला है। आपको भी एक बार इस बात पर गौर करना चाहिए। वैसे भारतीय टीम में नए प्‍लेयर्स को जगह मिलनी चाहिए जिससे हर कोई अपना टैलेंट दिखा सके।