लेनिन और स्टालिन का इतिहास – हाल ही में त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में हार के बाद लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढह गया ।
वहीं पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा ने त्रिपुरा में अगले पांच सालों के लिए अपनी सत्ता जमा ली, पर किसी ने नहीं सोचा होगा कि लेफ्ट के पतन के साथ लेफ्ट की विचारधारा के मूर्ति लेनिन की प्रतिमा भी ढह जाएगी ।
हाल ही में कुछ दंगाईयों ने त्रिपुरा के बेलोनिया क्षेत्र में स्थित लेनिन की विशाल प्रतिमा को गिरा दिया । प्रतिमा गिरने के बाद विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच राजनीति भी शुरु हो गई है । इसी त्रिपुरा के बेलोनिया से निर्वाचित भाजपा विधायक के अनुसार लेनिन और स्टालिन सबको एक दिन जाना ही होगा । प्रतिमाओं के बाद उनके नाम वाले रोडो को भी खत्म किया जाएगा ।
त्रिपुरा के बेलोनिया क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक अरुण चंद्र भौमिक का कहना है कि “जो भी इन लोगों के बारे किताबों में लिखा हुआ है वो सब हटाया जाएगा । क्योंकि वो भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है ।”
विधायक अरुण चंद्र भौमिक ने कहा – “लेनिन और स्टालिन सबको जाना होगा. लेनिन और स्टालिन, मार्क्स सबको जाना पड़ेगा, मूर्तियों खत्म और अब उनके नाम वाले रोड भी खत्म होंगे ।” जिसे भाजपा विधायक खुद भाजपा कार्यकर्ताओं के इसमें शामिल होने की तरफ इशारा कर रहें है । हालांकि अभी तक इसकी आधकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है और प्रतिमा गिराने का ये खेल अब त्रिपुरा पश्चिम बंगाल से होते हुए तमिलनाडू तक आ पहुंचा है ।
लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने से लेफ्ट के नेताओं में काफी गुस्सा है । पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं का हाथ बताया । ममता बनर्जी के अनुसार दंगाई जिन्होंने लेनिन की प्रतिमा गिराई वो कल को गाँधी, बोस, विवेंकानंद की प्रतिमाएं भी गिरा सकते है । साथ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि लेनिन की प्रतिमा को गिराने पर चुप नहीं बैठेंगे । वैसे आपको बता दें पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यालय की तरफ से मूर्तियों को तोड़े वाले दंगाईयों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने का आदेश दिया गया है । लेकिन जो दोष जिसका भी हो पर अब लेनिनग्रेड के नाम से मशहूर त्रिपुरा का ये हिस्सा अब लेनिन मुक्त हो गया है । कम्युनिस्टों के गढ़ उत्तर पूर्वी राज्यों से एक के बाद लेनिन की मूर्तियों को गिराया जा रहा है । और हैरानी की बात ये है कि ऐसा करने वाले खुलेआम मूर्तियां ढहकर भी पहचान में नहीं आ रहे ।
आपको बता दें लेनिन की प्रतिमा त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज में थी जहां से इसे गिराया गया।
ये वाक्या हाल ही में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद हुआ है । इस क्षेत्र को पहले लेफ्ट का गढ़ माना जाता था । लेकिन इस बार यहां से चार विधायक रहे बसुदेब मजुमदार को भाजपा के नेता अरुण चंद्र भौमिक से हार का सामना करना पड़ा । भाजपा के विधायक अरुण भौमिक ने अपने बयान के जरिए लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने को कही न कही सही ठहराया है ।
खबरों के मुताबिक लेनिन की मूर्ति पर बुलडोजर विधायक भौमिक का जश्न मना रहे लोगों ने ही चढ़ाया था ।
हालांकि त्रिपुरा की भाजपा सरकार का साफ तौर पर कहना कि लेनिन की मूर्ति गिराने में उनका कोई हाथ नहीं है । ये उनके खिलाफ लेफ्ट की एक साजिश है । विधायक भौमिक अपनी सरकार से अलग ही बात कह रहे हैं । भौमिक के अनुसार अब वो भारत के उन महान लोगों की प्रतिमा लगवाएंगे जिन्होनें देश के लिए बलिदान दिया था । खैर लेनिन की प्रतिमा पर राजनीति कितनी भी हो लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि इसे लेनिन और स्टालिन जैसे दंक्षिणपंथियों का इतिहास भारत जरुर मिटने लगा है ।