मरे हुए को जिंदा करना – आज से कई वर्ष पहले जब वैज्ञानिको ने चांद पर जाने का दावा किया था तो उस समय लोगों ने उसका मजाक उडाया था और कहा था कि ये कभी मुमकिन नहीं हो सकता कि इंसान चांद पर अपना कदम रख सके, लेकिन कुछ नामुमकिन को मुमकिन कर देने वाले वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया और २० जुलाई 1969 को नील ऑर्मस्ट्रांग नाम के एस्ट्रोनॉट ने अपने साथियो के साथ ये कारनामा करके उन सभी लोगों का मुंह बंद कर दिया जो एक समय पर विज्ञान के खिलाफ़ उसका मजाक उड़ा रहे थे.
तो दोस्तों ये बात तो साबित हो चुकी है कि विज्ञान नामुमकिन को मुमकिन कर सकता है लेकिन ठीक समय आने पर.
इसी तरह साल 1960 में कई वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वह मरे हुए इंसानों को फिर से जिंदा करने के लिए काम करना शुरु कर चुके हैं. एक बार फिर वैज्ञानिकों की इसी कोशिश का दुनिया भर में मजाक उड़ाया गया था. क्योंकि किसी भी इंसान के लिए इस बात पर भरोसा करना कतई मुश्किल होगा कि कोई मरने के बाद भी जिंदा कैसे हो सकता है. लेकिन हम ये बातभी नहीं भूलसकते कि जिन वैज्ञानिकों की कोशिशों को हमने पहले भी बेवकूफी बताया था, आज हम उन्हीं की देन और तकनीक पर मौज काट रहे हैं.
अपनी इस कोशिश को पूरा करने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक अमेरिका में जुटे हुए हैं और इस नामुमकिन काम को मुमकिन बनाने में जी जान लगा के काम कर रहे हैं. इस विषय पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि एक खास थ्योरी के ज़रिए मरे हुए इंसानो को जिंदा किया जा सकता है. लेकिन शर्म की बात तो ये है की लोग इन वैज्ञानिकों की मेहनत को सलाम करने की बजाए उनका मजाक बना रहे हैं.
आपको शायद ना पता हो लेकिन साल 1960 में किए गए पहले प्रयोग की एक वीडियो भी बनाई गई थी जो उस समय काफी वायरल हुई थी और अब एक बार फिर उस वीडियो के सामने आ जाने से सोशल मीडिया और लोगों में बहस छिड़ गई है कि मरे हुए इंसानों को जिंदा नहीं किया जा सकता. हम इस बात पर कभी यकीन नहीं करेंगे. लोग इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं कि मरे हुए इंसानो को एक बार फिर जिंदा किया जा सकता है.
प्रक्रिया का नाम रखा गया था क्रायोप्रिजर्वेशन
मरे हुए को जिंदा करना करने के लिए – इस प्रक्रिया में आपको बता दे कि इंसान की डेडबॉडी को एक ट्यूब की तरह दिखने वाले फ्रिज में संरक्षित रूप से रखा जाता है. और उस बॉडी को एल्युमिनियम की शीट से पूरी तरह से कवर कर दिया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फ्रिज का तापमान -250 डिग्री होता है.
मरे हुए को जिंदा करना – बता देंकि साल 2014 में 250 अमेरिकियों की इच्छामृत्यु के बाद सभी की डेडबॉडियों को वैज्ञानिकों ने इसी तरह की फ्रिज में रखा है. वैज्ञानिकों के साथ-साथ सभी इच्छामृत्यु करने वाले लोगो की मरने से पहले उम्मीद थी कि उन्हे एक बार फिर भविष्य में जिंदा किया जाएगा.
सभी वैज्ञानिक इस थ्योरी के ज़रिए इन सभी 250 लोगों को जिंदा करने में दिन रात लगे हुए हैं.