वेश्या की जिंदगी – एक महिला के लिए उसकी इज्जत सबसे ज्यादा अहम मानी जाती है ।
अक्सर समाज ऐसी महिलाओं को समाज अपनाने से मना कर देता है, जो अपनी इज्जत की रक्षा नही कर पाती । या फिर शादी से पहले किसी के साथ संबंध बनाती है ।
सोचती हूं तो लगता बंदिशों का जाल कुछ इस तरह बुना गया है हमारे लिए की बंदिशें खुद की मर्जी से तोड़े या किसी ओर की मर्जी से बदनाम हम ही है । लेकिन हमारे समाज में महिलाओं का समुदाय ऐसा भी है, जो खुलकर वेश्यावृत्ति का काम करते हैं और ये सिर्फ भारत या बांग्लादेश में ही नहीं दुनियाभर के लगभग हर देश में होता है ।
कोई देशों में वैश्यावृति को लेकर कानूनी मान्यता भी प्राप्त है । लेकिन कई जगहों पर ये काम चोरी छिपे किए जाते हैं . हर शहर मे्ं वेश्यावृत्ति वाले इलाकों को रेड लाइट एरिया कहा जाता है । जहां पर खुलेआम वेश्यावृ्त्ति का काम होता है । लेकिन आज भी वेश्यावृत्ति को निम्मन दर्जे का काम माना जाता है । इस काम से जुड़ी महिलाओं की समाज में कोई इज्जत नहीं होती । यहां तक की इन्हे समाज के अन्य लोगों की तरह समाज में रिश्ते बनाकर रहने की आजादी भी नहीं मिल पाती ।
कुछ लोगों का मानना है कि इस काम में कई महिलाओं को जबरन लेकर आया जाता है । हालांकि इस धंधे से जुड़ी कई महिलाओं का कहना की उन्ही ये काम पंसद है । क्योंकि उन्हें कोई ओर काम नहीं आता । और इसे उन्हें इसे जिंदगी जीने के लिए पैसे मिल जाते हैं।
चलिए जानते है वेश्या की जिंदगी !
बांग्लादेश को दुनिया का सबसे बड़ा वेश्यावृत्ति का बाजार माना जाता है ।
यहां कई कोठे ऐसे है जो 200 साल से भी ज्यादा पुराने हैं 2014 में बाग्लांदेश सरकार ने इन्हें नष्ट करने की कोशिश भी की थी । लेकिन कुछ गैर सराकरी संगठनों ने इसके पुन निर्माण में मदद की । खैर वैश्यावृत्ति दुनिया के किसी भी देश में हो । इस बाजार से जुड़ी सभी वेश्या की जिंदगी एक समान होती है ।
चकांचौध भरी दिल्ली में भी एक एऱिया ऐसा है जिसे रेड एरिया कहा जाता है । ये रेड लाइट एरिया जीबी रोड पर हैं । जहां के घरों से आपको बाहर झांकती महिलाएं दिख जाएंगी । दिन में शांत नजर आने वाली ये जगह रात को वेश्या बाजार में बदल जाती है। जहां इस काम से जुड़ी महिलाएं अपने कस्टमर के इंतजार में सजधज कर खड़ी रहती है । और इनके दलाल सड़क पर इनका रेट लगाने के लिए खड़े रहते हैं । यहां पर काम करने वाली ज्यादातर महिलाओं को नेपाल, बंगाल, बाग्ंलादेश से लाया गया हैं । इन्हें इसे कोई फर्क नहीं पड़ता इनका कस्टमर किसी धर्म जाति का है इनके लिए तो इनका काम ही सबसे बड़ा धर्म है.
हालांकि इस काम में जड़ी होने के बावजूद भी ये महिलाएं पूजा -पाठ , नमाज पढ़ाना काफी नियम धर्म से करती है ।
कभी गलती से भी यहां आना हो तो एक बार इनके जिस्म की ओर देखने से पहले इनकी हालात की ओर जरुर देखना तो समझ आएगा मजबूर से या मर्जी से ये महिलाएं जो भी कर रही है अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए कर रही है। रिपोर्टस के मुताबिक हर कोठे की एक मालिकन होती है, जो इन महिलाओं को खरीदती है और जब तक इनसे पूरे पैसे चुकाता नहीं कर लेती उन्हें जाना नहीं देती । और एक बार उधार चुकाता होने के बाद महिला चाहे तो वो जगह छोड़कर जा सकती है । लेकिन लंबे वक्त इसे काम से जुडे होने के कारण इन महिलाओं को इसकी आदत पड़ जाती है और छोड़ना भी चाहे तो इन्हे समाज अपनाने को तैयार नहीं होता ।
इस व्यापार में जुड़ी कुछ महिलाओं के अनुसार उनके पास कई ऐसे कस्टमर भी आते हैं । तो उनके सामने अलग अलग फरमाइशें रखते हैं । जिन पूरा करना कई बार काफी तकलीफदाई होता है . कुछ कस्टमर उन्हें उन नामों से बुलाते है । जिन्हें वो असल जिंदगी में जानते हैं । और जिनके साथ वो संबंध बनाना चाहते हैं । या फिर कई बार अपनी फंसनटसीज को भी यहां आकर पूरा करने की कोशिश करता है ।
ये व्यापार गलत है या सही इसका फैसला करने का हक तो हमारा नहीं है । लेकिन ये बात जरुर ध्यान देने वाली है कि ये भी हम जैसे हैं किसी के काम से उसके विचारों या उसके चरित्र का पता नहीं लगाया जा सकता । क्योंकि जरुरी नहीं वो काम वो अपनी मर्जी से कर रहा हो । अगर वो उसकी मर्जी है भी तो ये उसका फैसला है । इसे सही या गलत बताने का हक हमारा या आपका नहीं है.
ये है एक वेश्या की जिंदगी !