शिव को जन्म देनेवाला – भगवान शिव एक ऐसे भगवान हैं, जिनकी पूजा धरती, पाताल और आसमान के लोग करते हैं.
शिव को ही देवों में श्रेष्ठ माना गया है. किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए आज भी लोग शिव की ही उपासना करते हैं. बड़े से बड़ा त्यौहार हो लेकिन जैसे ही शिवरात्रि आती है हर जगह माहौल बदल जाता है. ये एक पर्व से भी बड़ा होता है. इस दिन भगवान् शिव की लोग सुबह से ही पूजा अर्चना शुरू कर देते हैं.
कुछ लोग तो इस दिन विशेष रुद्राभिषेक करवाते हैं.
महिलाएं खासतौर पर शिव की आराधना करती हैं.
इसका सबसे सरल कारण ये है कि शिव इनसे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और इन्हें मन चाहा वरदान देते हैं. महिलाएं शिव की आराधना पति से लेकर पुत्र प्राप्ति तक के लिए करती हैं. इसके हेतु महिलाएं महाशिवरात्रि का व्रत रखकर घंटों पूजा करती हैं. यह भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी है.
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है.
माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था. भगवान् शिव सबकी मनोकामना पूरी करते हैं.
शिवरात्रि के दिन महिलाएं ख़ास तौर पर पूजा करके अपने पुत्रों की आयु की भी प्रार्थना करती हैं, लेकिन क्या कभी आपने भगवान् शिव के पिता के बारे में सुना? शायद नहीं. शिव को जन्म देनेवाला कौन है ?
शिव को जन्म देनेवाला जिसकी कोई कथा ही नहीं सुनाई जाती. श्रीमद् देवी महापुराण के मुताबिक, भगवान शिव के पिता के लिए भी एक कथा है. इस कथा के अनुसार दुर्गा ही भगवान् शिव की माता हैं और ब्रह्म यानि काल-सदाशिव पिता हैं.
शिव को ब्रह्मा की नाभि से उत्पन्न माना जाता है.
वैसे केवल आप और हम नहीं बल्कि उस समय नारद जी भी बड़े ही परेशान थे कि सच में भगवान् शिव का पिता कौन है?
नारद के मन में दो सवाल हिलोरें मार रहे थे, एक तो शिव का पिता कौन है और दूसरा सृष्टि का निर्माण किसने किया? आपने, भगवान विष्णु ने या फिर भगवान शिव ने? नारद जी के इन दो सवालों का जवाब ब्रह्मा जी ने दिया.
जिसका उत्तर था कि ब्रह्म ही सर्वोपरि हैं. वही शिव के उत्पत्ति का कारण हैं और इस सृष्टि के जन्मदाता भी.
भगवान् शिव को कभी आपने प्रसन्न मुद्रा में नहीं देखा होगा. शिव हमेशा ही ध्यान की मुद्रा में होते हैं.
उन्हें इस सृष्टि के लिए बहुत चिंता रहती है. शिव जी आपने अधिकत्तइर योगी या ध्यान की मुद्रा में ही देखा होगा. लेकिन उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है. शिव जी के गले में हमेशा नाग देवता विराजमान रहते हैं और इनके हाथों में डमरू और त्रिशूल दिखाई देता हैं. शैव मत के अनुसार इनका कैलाश पर्वत में इनका निवास स्थान है. कहते हैं कि शिव जी बड़े ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. शायद इसीलिए उनकी पूजा लोग ज्यादा करते हैं.
अन्य देवताओं में भगवान् शिव ही एक ऐसे देवता हैं, जो सच में हर तरह के इंसान की चिंता करते हैं. इन्हें कई नामों से जाना जाता है. इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ आदि नामों से जाना जाता है.
आप भी अपने आराध्य की पूजा में दिन निकालें और अपनी मनोकामना पूर्ण करें.