भीमकुंड – भारत के रहस्यों के बारे में जानकर पूरी दुनिया हैरान और परेशान होती जा रही है।
आज विज्ञान के दौर में भारत के कई रहस्य सामने आ रहे हैं जिन्हें सुलझा पाना बहुत मुश्किल लग रहा है।
आज हम आपको भारत के ऐसे ही रहस्य के बारे में बताएंगें जिसे अपनी पूरी कोशिशों के बाद भी डिस्कवरी चैनल की टीम तक नहीं सुलझा पाई।
ये है वो रहस्य
दरअसल, हम बात कर रहें हैं भारत में स्थित भीमकुंड की जोकि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में 80 किलोमीटर दूर बना है। ये जलकुंड प्राकृतिक स्रोत का जलकुंड है और इसका पानी पीने योग्य है लेकिन आज तक वैज्ञानिक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि इस कुंड में पानी आता कहां से है।
इस जलकुंड के आसपास और दूर-दूर तक कोई भी पानी का कोई स्रोत नहीं है और सूखे के समय में इस पूरे इलाके में पानी की किल्लत हो जाती है लेकिन इस जलकुंड का पानी 1 ईंच तक कम नहीं होता है। कई बार भीमकुंड की गहराई नापने की भी कोशिश की गई लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी।
पूरी दुनिया में जितने भी साफ पानी के जल कुंड हैं वो ज्यादा गहरे नहीं हैं लेकिन भीमकुंड इतना गहरा है कि हर कोशिश के बाद भी इसकी गहराई कभी भी नापी नहीं जा पाई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कुंड में डूबने के बाद कभी भी शरीर ऊपर नहीं आता है और इसका अनंत गहराई में पहुंच जाता है। किसी औी जगह देखेंगें तो मरने के बाद शरीर पानी के ऊपर आता जाता है लेकिन इस कुंड में ऐसा नहीं होता है।
भीमकुंड को लेकर ये है मान्यता
मान्यता है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो इस कुंड क जल हरकत करने लगता है। साल 2004 में भूकंप और सुनामी के समय इस कुंड का पानी 20 फुट ऊंची लहरें बनाने लगा था और इस बात की चर्चा उस समय पूरी दुनिया में हुई थी। बस इसी बात की जांच करने के लिए डिस्कवरी चैनल की टीम यहां आई थी लेकिन कई दिनों की कोशिशों के बाद उन्हें खाली हाथ वापिस लौटना पड़ा। डिस्कवरी की टीम तक इस कुंड की गहराई को नाप नहीं पाई है और ना ही इसके स्रोत का पता लगा पाई है।
इस कुंड की गहराई को नापने के लिए टीम ने अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया था लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। सबसे पहले तो उनका कहना था कि इस कुंड के जल का स्रोत समुद्र से है लेकिन इतनी ज्यादा दूर के समुद्र से पानी के यहां तक आने का जवाब उनके पास नहीं था। इस कुंड का पानी साफ और पीने योग्य है जबकि समुद्र का पानी खारा होता है।
पुरानी कहानियों की मानें तो जब द्रौपदी को प्यास लगी थी तो भीम ने जल ढूंढने का बहुत प्रयास किया था लेकिन उन्हें कहीं भी जल नहीं मिल रहा था। जब गुस्से में आकर उन्होंने अपनी गदा के प्रहार से इस कुंड का निर्माण किया था। इस कुंड का रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।