कांच का टूटना – हमारे देश में कईं ऐसी बातें हैं जिन्हे शगुन-अपशगुन, अच्छे-बुरे या फिर परम्पराओं रिवाज़ों से जोड़ कर देखा जाता है।
यूं तो साइंस इन बातों को निराधार बताती है लेकिन फिर भी हमारे समाज में ये बात बड़ी प्रचलित हैं और लोग इन पर विश्वास भी करते हैं।
छींक निकलने पर घर से निकलना अशुभ होता है तो दूध का उबलना शुभ, सुबह-सुबह पानी से भरा बर्तन देखना शुभ होता है तो बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ, सपने में कुछ चीज़ों का दिखाई देना शुभ तो कुछ का दिखाई देना काम के पूरा होने की निशानी, ऐसी कईं बातें हैं जिनका यूं तो कोई ठोस कारण नहीं है लेकिन फिर भी हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा इन बातों पर विश्वास करता है और इन्हे मानता है।
अगर बात साइंस की करें तो साइंस इन बातों को सिरे से नकारता है और इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं बताता है लेकिन इसस लोगों का इसके प्रति विश्वास बिल्कुल कम नहीं हुआ है।
भले ही आज की पीढी इन बातों पर कम यकीन रखे लेकिन पुराने ज़माने के लोग तो इन बातों को पूरी तरह से सच मानते हैं। ये प्रथाएं, शगुन-अपशगुन की ये कहानियां किस तरह प्रचलन में आईं इनके पीछे भी अलग-अलग किस्से हैं।
अगर बात की जाएं कांच के टूटने की तो कांच का टूटना अपशगुन क्यों है इसके पीछे कईं बातें कहीं जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि ये बात रोमन लोगों से चर्चा में आई। रोमन लोगों के बीच ये बात काफी चलन में थी कि कांच में जो हमारा अक्स दिखाई देता है असल में वह हमारी आत्मा होता है और कांच का टूटना हमारी आत्मा का लुप्त हो जाना या यूं कहा जाए कि हमारी आत्मा का खत्म हो जाना, इसी बात को आधार मानते हुए रोमन के लोग कांच का टूटना बुरा माना । वहां अगर किसी के घर का कांच टूट जाए तो इस अपशगुन को दूर करने का एक तोड़ भी था जिसमें कहा जाता था कि कांच टूटने के बाद घर के बगीचे में लगे छोटे पानी के कुंड में अगर व्यक्ति अपनी शक्ल देख ले तो ये अपशगुन दूर हो जाता है।
इसके अलावा भी अन्य जगहों पर कांच का टूटना पर अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। दुनिया के कईं हिस्सों में ऐसा माना जाता है कि कांच के टूटने से सात सालों के लिए भाग्य उस व्यक्ति या फिर उस परिवार से रूठ जाता है, किस्मत मुंह मोड़ लेती है, ऐसे में कांच के टुकड़ों को ज़मीन के नीचे चांद की रोशनी में दबा दिया जाता है। ताकि कांच का टूटना किसी भी प्रकार का संकट ना लाये और सब कुशल रहे।
तो अब आप समझे कि कांच का टूटना अपशगुन क्यों माना जाता है, खैर ये सब शगुन-अपशगुन पूरी तरह से इंसान के मानने ना मानने पर निर्भर करते हैं। कुछ लोग पूरी आस्था के साथ इन बातों पर विश्वास करते हैं तो कुछ लोग ऐसी बातों को केवल अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं। कुल मिलाकर ये बस आपकी सोच और आस्था पर निर्भर करता है कि आप किसे अपनाते हैं और क्या मानते हैं।