काजू की खेती – ओडिशा एक ऐसा राज्य है जहां आदिवासी लोगों की अच्छी खासी तादात पाई जाती है. इस राज्य के कई जिले इतने पिछड़े हैं कि दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.
इसी राज्य में एक ऐसा गांव भी है, पहले जिसे देश का सबसे गरीब गांव माना जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां के लोगों ने खेती को अपनी ताकत बनाकर अपने गांव की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी है.
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर किस चीज की खेती करके देश का यह सबसे गरीब बन गया है एक अमीर गांव.
काजू की खेती ने बदली इस गांव की तकदीर
ओडिशा के दक्षिण पश्चिमी इलाके में स्थित नबरंगपुर जिले की आबादी करीब 12.2 लाख बताई जाती है जिसमें से 56 फीसदी आबादी सिर्फ आदिवासियों की है. इस जिले के हालात इतने बद से बदतर है कि यहां रोजगार, सड़क, बिजली, चिकित्सा और शिक्षा जैसी सुविधाओं का काफी अभाव है.
आलम तो यह है कि इस जिले के अधिकांश लोग रोजी रोटी के लिए दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जाते हैं. इस जिले में ‘अचना’ नाम का एक गांव है जिसे देश का सबसे गरीब गांव माना जाता था. हालांकि पिछले कुछ सालों में इस गांव और यहां के लोगों की दशा और दिशा में काफी बदलाव आया है.
पहले जहां इस गांव के लोग धान और मक्के की खेती करके दक्षिण भारत में मजदूरी करने के लिए निकल जाते थे, तो वहीं पिछले कुछ साल से इस गांव के लोग काजू की खेती कर रहे हैं. इस गांव में रहनेवाला हर परिवार काजू की खेती करके अच्छी खासी आमदनी पा रहा है.
काजू की खेती करने में लगे हैं करीब 100 परिवार
इस गांव के लोगों की मानें तो उनके द्वारा उगाए गए काजू बाजार में 100 रुपये किलो तक बिक जाते हैं. जिसकी वजह से उनकी आमदनी और आर्थिक स्थिति में काफी हद तक सुधार आया है. अब इस गांव के लोग रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं कर रहे हैं बल्कि गांव में अपने परिवार के साथ रहकर ही उन्हें अच्छी आमदनी मिल रही है.
आज इस गांव के करीब 21 हेक्टेयर क्षेत्र में काजू लगा है और 250 परिवारों के गांव में 100 परिवार इसकी खेती करने लगे हैं. बताया जाता है कि काजू के अलावा सामान्य खेती में भी पैदावार में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. यहां सबसे ज्यादा धान और मक्के की खेती की जाती है. हालांकि मक्के और धान जैसी फसलों की पैदावार ज्यादा होने के कारण उनके दाम गिर जाते हैं, लेकिन काजू की फसल से उन्हें फायदा हो जाता है.
काजू की खेती से मिलनेवाले फायदे को देखते हुए इस गांव के लोग अब खेती के लिए बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेने से भी नहीं हिचकिचाते हैं. यहां काजू के फलते-फूलते रोजगार को देखते हुए इस जिले में काजू की प्रोसेसिंग के लिए कई यूनिट लगाए गए हैं जिससे लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं.
गौरतलब है कि तीन चार साल पहले इस गांव को देश का सबसे गरीब और पिछड़ा हुआ गांव माना जाता था लेकिन यहां के लोगों ने काजू की खेती करके अपने गांव के हालात को काफी हद तक बदल दिया है और अब इस गांव नाम अमीर गांवों की सूचि में शामिल हो गया है.