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क्या कारण था कि श्री कृष्ण ने राधा को छोड़ कर रुक्मणि को अपनाया

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया – भारतीय हिन्दू शास्त्र में 33 करोड़ देवी-देवता है।

जिनमें से कुछ को प्रधानता दी जाती है तो कुछ देवी-देवताओं को क्षेत्रपाल (कुल देवता, ग्राम देवता, यम, रक्षा करने वाले देवता, इत्यादि)  की संज्ञा दी जाती है। जिनमें से शिव, बिष्णु, ब्रम्हा को स्रष्टि का सबसे बड़ा ईश्वर माना जाता है लेकिन वहीं  बिष्णु को इस दुनिया का निर्माणकर्ता माना जाता है।

वैसे हम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु के 10 अवतार है, जिनमें से कर्म सिखाने वाले श्री कृष्ण का अवतार सबसे अधिक लोकप्रिय है.

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया

क्योंकि कृष्ण भगवान् ने हमें गीता में कर्म का सिद्धांत समझाया है। जबकि श्री राम ने मर्यादाओं का पाठ पढाया है।इसके अलावा बाकि के 8 अवतार इस प्रकार है.. नरसिंह अवतार, वराह अवतार, कच्छप अवतार, मत्स्य अवतार, कल्कि अवतार इत्यादि। (गीता के अनुसार कल्कि अवतार कलयुग में होगा, जब पाप बढ़ जाएगा तब भारत देश में भगवान् विष्णु का अवतार होगा)

चूँकि आज हम बात करने वाले हैं…

श्री कृष्ण के कर्म सिद्धांत कीतो आपको बता दे कि श्री कृष्णा और राधा का प्रेम तो जग जाहिर है, श्री कृष्णा के बीच की रास लीला, श्रृंगार का बदलाव, होली समारोह इत्यादि तो किसी भी इंसान को पता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया बल्कि रुक्मणि से विवाह किया था। जबकि राधा तो कृष्णा की परम मित्र और प्रिया थी।  इसके प्रमाण स्वरुप राधा चालीसा में कुछ चौपाई भी मिलती है, जिसमें खुद कृष्णा कहते हैं कि

राधा त्याग कृष्णा  हा भजिहो

सपनेहु नहीं भवसागर तरिहो…

यह लाइन अपने आप में राधा की महिमा बताने के लिए पर्याप्त है।

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया – अब हम आपको बताने जा रहे है उस रहस्य के बारे में जिसे हर कोई जानना चाहता है, हर किसी के मन में हमेशा उत्कंठा रहती है कि आखिर क्यों श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया। तो हम आपको बता दे कि राधा और रुक्मणि दोनों एक ही रूप है. और इससे भी बड़ी बात यह है कि राधा और रुक्मणि और कोई नहीं बल्कि खुद लक्ष्मी माता का ही रूप है। इसलिए जब तक श्री कृष्ण वृन्दावन में रहे तब तक वह राधा के रूप में श्री कृष्णा के साथ रहे और जब जरासंध के हमलो से मथुरानगरी  परेशान होने लगी तब श्री कृष्णा ने मथुरा को छोड़ कर द्वारिका पूरी यानी गुजरात में जा बसे।और फिर कुछ ही समय बाद रुक्मणि की तपस्या से प्रसन्न हो कर उसका हरण कर लेते है।

आम तौर पर श्री कृष्ण को लेकर एक बात बहुत प्रसिद्द है कि श्री कृष्णा की 16 हज़ार रानिया थी।  इससे ये बात जाहिर होती ही है कि कृष्णा ईश्वर का ही रूप थे क्योंकि किसी मनुष्य के लिए यह मुमकिन नहीं है। लेकिन वास्तविकता में श्री कृष्णा की तीन रानी ही रही है.. जिसमें से प्रमुख थी… रुक्मणि, सत्य भामा, जाम्बन्ती इत्यादि। इसमें रुक्मणि को पटरानी यानी शीर्ष रानी का पद प्राप्त था।

इस वजह से श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया – अतः कह सकते हैं कि यह सब श्री कृष्ण की ही माया थी कि उन्होंने मथुरा में राधा को अपनाया तो द्वारिका में रुक्मणि को।