किस्मत भी क्या खेल खेलती है. कभी किसी को फलक से उठाकर ज़मीन पर पटक देती है तो कभी ज़मीन से उठाकर आसमान में बिठा देती है. कभी हम जिस चीज़ के लिए तरसते हैं, भविष्य में उससे भी उम्दा चीज़ हमारा इंतज़ार कर रही होती है. इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें किस्मत के आगे झुकना पड़ता है और लाख मेहनत करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिलती, एल्किन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी किस्मत दोनों हाथ फैलाए उनका इंतज़ार करती है.
एक माध्यम वर्ग का लड़का जिसके पापा स्कूल में बांग्ला पढ़ते हों और माँ पोस्ट ऑफिस में काम करती हो, उस लड़के के सपने बहुत छोटे हों कह नहीं सकते. वो लड़का भी आसमान के ख्वाब संजो सकता है. वो लड़का भी ये सोच सकता है कि उसे लम्बी उछाल लगाने है या आसमान में पंछियों की तरह उड़ना है.
एक ऐसे ही लड़के की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं. नाम है तीर्थक. बारहवीं के बाविद्यालय द उसने सपन देखा कि उसका दाखिला दिल्ली विश्वविद्यालय में हो जाए, लेकिन मार्क्स कम होने के नाते उसका एडमिशन नहीं हो पाया. उसे बहुत दुःख हुआ, लेकिन वो इस दुःख से निराश नहीं हुआ और वो तुरंत अपनी पढ़ाई दूसरे यूनिवर्सिटी से शुरू कर दिया. तब उस लड़के को नहीं पता था कि आज जिस कम नम्बर की वजह से उसे एडमिशन नहीं मिला है कल वही नम्बर उसे दुनिया के चुनिन्दा लोगों में शामिल कर देंगे. कल वो नम्बर मार्कशीट पर थे, लेकिन आज ये नम्बर फ़ोर्ब्स मैगज़ीन पर हैं. अमेरिकन इलेक्ट्रिक पॉवर (एईपी) में काम करने वाले तीर्थक को इस साल फोर्ब्स मैगजीन ने 30 अंडर 30 लिस्ट में शामिल किया है. बता दें कि 30 अंडर 30 लिस्ट में युवा एंटरप्रेन्योर्स, गेम चेंजर्स, इनोवेटर्स का नाम शामिल किया जाता है, जिसमें तीर्थक का नाम भी शामिल है. तीर्थक को 15000 नामांकन में से चुना गया है और इसे एनर्जी कैटेगरी में जगह दी गई है.
दिल्ली के 25 वर्षीय युवा ने इस प्रतिष्ठित मैगजीन में नाम दर्ज कर अपने परिवार सहित देश का नाम रोशन किया है. दिल्ली में पले-बढ़े तीर्थक साहा को 15000 लोगें के नॉमिनेशन के आखिरी चरण में स्थान पाने में सफलता मिली है. तीर्थक को फोर्ब्स ने ऊर्जा श्रेणी के तहत चुना है. पावर जेनेरेशन पर रिसर्च के काम ने उन्हें इस विश्व प्रसिद्घ पत्रिका में जगह दिलाई है। इस उपलब्धि पर साहा ने कहा,’यह अद्भुत और गौरवान्वित करने वाली बात है.
२०१७ की फ़ोर्ब्स की सूची में, जिसमें दुनिया भर के चुनिन्दा युवाओं को लिया जाता है. उसमें १५ हज़ार युवाओं को पीछे छोड़ तीर्थक ने जगह बनाई है. आज तीर्थक अमेरिकन कंपनी के लिए काम करते हैं दुनियाभर के युवाओं को सन्देश देते हैं की अपनी सफलता की कहानी पडोसी, रिश्तेदार और दोस्तों के मुंह से नहीं बल्कि खुद सुनिए और लोगों को सुनाइए. जिस फील्ड में करियर बनाना हो उसी में बनाइए. आप अपना करियर उसी में बनाइए, जिसमें आपका मन हो. उसी दिशा में आगे बढ़िये जिसमें आपका दिल और दिमाग दोनों आगे बढ़ने को कहे.
तीर्थक की ये कहानी सुनकर हर युवा को अपने बारे में सोचना चाहिए और ये निश्चित कर लेना चाहिए कि उन्हें उड़ान भरने से अगर कोई रोक सकता है तो वो खुद हैं, वरना आगे बढ़ने के लिए हर रास्ता पुकारता है.