देशभर में संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस फिल्म को लेकर अलाउद्दीन खिलजी को लेकर खूब अफवाहें फैली हुई हैं। पूरी दुनिया में खिलजी को खलनायक बना दिया गया है लेकिन उसकी कब्र के करीब से लोगों का हुजूम खामोशी से गुज़र जाता है।
कब्र के चारों ओर लोग खड़े होकर दिल्ली सल्तनत के बिखरे पन्नों के साथ सेल्फी लेने में मशगूल हैं लेकिन किसी को खबर नहीं है कि उनके सामने ही अलाउद्दीन खिलजी अपनी कब्र में सोया हुआ है। खिलजी को वक्त की एक छोटी सी करवट ने शैतान बना दिया था।
दक्षिणी दिल्ली के महरौली में कुतुब मीनार दिल्ली का सबसे मशहूर ऐतिहासिक स्थल है। ममलुक वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस विशाल मीनार की आधारशिला रखी थी। कुतुब मीनार को देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। कुतुब मीनार से सटे परिसर में अलाउद्दीन खिलजी का मदरसा भी है।
इस मदरसे के बाहर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा एक पत्थर लगाया गया है जिस पर लिखा है – ऊंची दीवारों से घिरा ये चतुर्भुजीय अहाता मूल रूप से मदरसा था जिसका प्रवेश द्वार पश्चिम में है। इसका निर्माण खिलजी ने 1296 से 1316 में करवाया था।
इस अहाते के दक्षिणी हिस्से के बीच में खिलजी का मकबरा है। मदरसे के साक मकबरा होना भारत में पहली बार हुआ है। यह शायद सलजुकियान रवायत से मुतासिर है।
अलाउद्दीन खिलजी औरतबाज़ नहीं था। उसे फिल्म पद्मावती में नेगेटिव किरदार में दिखाया गया है। पद्मावती फिल्म में एक ऐसे बादशाह को दिखाया गया है जिसने मंगोलों से हिंदुस्तान की हिफाजत की। अगर खिलजी नहीं होता तो आज भारत की शक्ल कुछ और ही होती।
खिलजी ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए चित्तौड़ पर आक्रमण किया था। ये आक्रमण पद्मावती को जीतने के लिए नहीं था। राजा रतन सिंह को हराने के बाद जब उसने रानी पद्मावती की खूबसूरती के चर्चे सुने तो वो उन्हें बस एक बार देखना चाहता था। तब खिलजी ने आईने में बस रानी पद्मावती को देखा था। इस कहानी पर लिखी गई किताबों में कथा को रोचक बनाने के लिए थोड़े बदलाव किए गए जिसमें रानी के जौहर और खिलजी की क्रूरता की रचना की गई।
खिलजी दिल्ली का पहला ऐसा बादशाह था जिसने कालाबाज़ारी को रोकने के लिए वस्तुओं के दाम तय किए और कीमतें घटाईं। साहूकारों की लूट-खसोट को रोकने के लिए उन्होंने घोड़ों को दागने की प्रथा की शुरुआत की।
दिल्ली में स्थित बलबन के लाम महल में खिलजी का राज्याभिषेक हुआ 22 अक्टूबर, 1296 को हुआ था। दिल्ली के निजामुद्दीन बस्ती इलाके में स्थित बलबन का यह महल ढक चुका है। घनी बस्ती के बीच लाल महल के अवशेष ढूंढ पाना मुश्किल है।
दिल्ली में कुतुब मीनार के पास स्थित मदरसे को खिलजी ने पांरपरिक शिक्षा के लिए बनवाया था। कहा जाता है कि इसी मदरसे में खिलजी का मकबरा भी है। इस लिहाज़ से देखा जाए तो खिलजी का साथ दिल्ली से आज भी छूटा नहीं है। इतिहास की ओर नज़र डालें तो हर बादशाह और राजा की नज़र दिल्ली की गद्दी पर रहती थी।