गुजरात के सातवें मुख्यमंत्री बने माधवसिंह सोलंकी एक ऐसे नेता थें जिन्होंने 80 के दशक में गुजरात की राजनीति का चरित्र बदल दिया था. पेशे से सोलंकी साहब पत्रकार थे और उनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं था. लेकिन फिर भी उन्होंने मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली और कई रिकॉर्ड बना डाले.
आइए जानते हैं माधवसिंह सोलंकी साहब ने अपने राजनीतिक करियर में क्या रिकॉर्ड बनाए.
– खाम समीकरण द्वारा ओबीसी, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम समीकरण के दम पर सोलंकी साहब ने कांग्रेस को 1985 में रिकॉर्ड दर्ज 149 सीटों से जिताया था. यह रिकॉर्ड आजतक कोई सरकार नहीं तोड़ पाई है.
– इस जीत के बाद कांग्रेस ने अपना झुकाव दलित, पिछड़े, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों की तरफ कर दिया था. 1980 में सोलंकी साहब के इस दिमाग के खेल से कांग्रेस सरकार के लोकसभा चुनाव में 26 सीटों में से 24 उनके खाते में आई.
– इसी समीकरण के ज़रिए माधव सिंह सोलंकी ने 1980 के विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने रिकॉर्ड बनाते हुए भांद्रा जिले से 30378 वोटों से चुनाव जीता.
एक रिकॉर्ड जिसे मोदी भी नही तोड़ पाए
1985 में “खाम” समीकरण के कायम करिशमे के चलते माधवसिंह सोलंकी ने गुजरात में आज तक का सबसे बडा रिकॉर्ड बनाया था, जिसमें उनके नेतृत्व में 182 में से 149 सीटें आईं थीं. साल 2012 में मोदी ने इस रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिश भी की थी लेकिन वो नाकामयाब रहे.
जाते-जाते भी माधवसिंह सोलंकी ने एक ऐसा कमीशन लागू कर दिया जिसका फायदा सरकारें आज तक उठा रही हैं. सोलंकी ने 10 जनवरी 1985 को पिछड़े वर्ग के लिए रोज़गार में 28 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया था जिसका फायदा उन्हें तो चुनाव में हुआ ही साथ ही इस चीज़ का फायदा अन्य सरकार आज तक उठाती आ रही हैं.
आपको बता दें किजिस समय माधवसिंह सोलंकी रिकॉर्ड दर्ज किए जा रहे थे उस समय नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक के तौर पर बीजेपी में काम करते थे.