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जानिए कैसे हुई मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत !

मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत

मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत – सुहागिन स्त्रियों के सोलह श्रृंगार में सिंदूर का महत्‍व सबसे ज्‍यादा होता है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि मांग में सिंदूर भरने की रीति की शुरुआत कैसे हुई ?

इस बारे में कई कथाएं और बातें प्रचलित हैं जिनमें से कुछ पर आज हम प्रकाश डालन वाले हैं।

भगवान ने बड़ी लगन के साथ दो सूरतों में प्राण फूंके थे। एक था वीरा जो कि वीर था और दूसरी थी धीरा जिसमें धीरता बहुत थी और जो दिखने में सुंदर और बहादुर भी थी।

इन दोनों का विवाह हुआ और ये दोनों शिकार पर जाया करते थे। इन दोनों की खुशबू पूरे संसार में फैल गई थी और इनसे दुनिया सुंदर दिखने लगी थी। उस इलाके के एक दुर्दान्‍त डाकू कालिया की नज़र धीरा पर पड़ी और उसने सोचा कि अगर वीरा को मृत्‍यु दे दी जाए तो धीरा उसकी हो जाएगी।

एक बार दोनों शिकार पर निकले लेकिन पूरा दिन उन्‍हें कुछ नहीं मिला। थकान के मारे दोनों एक पहाड़ी पर सो गए। उन्‍होंने कंदमूल खाकर रात वहीं गुज़ारने का फैसला किया। प्‍यास लगने पर वीरा पास के ही जलाशय से पानी लेने चला गया और धीरा वहीं अकेली बैठी रही।

उस समय रास्‍ते में वीरा पर कालिया ने हमला कर दिया। वीरा घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा और कालिया खुशी से ज़ोर-जोर से हंसने लगा। हंसी की आवाज़ सुनकर जब धीरा वहां आई तो उसने कालिया पर अचानक से हमला कर दिया। कालिया, धीरा के हमले से अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था और वीरा को अब तक होश आ चुका था और वो खड़ा हो गया था।

अपनी पत्‍नी की इस वीरता से खुश होकर वीरा ने अपने खून से धीरा की मांग भर दी। किवदंती है कि इसी समय से मांग भरने की प्रथा शुरु हुई जो आज तक जारी है।

इस तरह से मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत हुई.