अक्सर हमने लोगों को अपनी बुरी किस्मत के लिए रोते देखा है.
थोड़ी सी असफ़लता आई नहीं कि लोग अपने आप को दुनिया का सबसे बुरी किस्मत वाला इंसान समझने लगते है.
लेकिन क्या आप जानते है इस दुनिया में उन्ही लोगों को सफलता मिली है जो अपनी शुरूआती जिंदगी में कही ना कही असफ़ल हुए है. जी हाँ ऐसे कई उदहारण है जिनसे हमें प्रेरणा मिल सकती है.
आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे है जिसमे एक शख्स 10000 हजार बार असफ़ल हुआ था लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी और अपनी सफ़लता की कहानी लिखी.
तो आइये जानते है सफ़लता की एक अद्भुत कहानी के बारे में-
थॉमस अल्वा एडिशन का नाम तो हम सभी ने सुन रखा है, लेकिन क्या आप उनकी असल कहानी के बारे में जानते है. शायद नहीं! थॉमस अल्वा एडिशन वो शख्स था जिसे बचपन में मंदबुद्धि के रूप में जाना जाता था. अपनी गरीबी के कारण वे स्कूल से निकाल दिए गए थे. लेकिन उनकी सफ़लता के पीछे सबसे बड़ा हाथ था उनकी माँ का और उनके सीखने के जूनून का. उनकी माँ ने उन्हें घर पर ही पढ़ाने का निर्णय लिया और ओपन स्कूल से उन्होंने घर पर ही अपनी पढ़ाई की. विज्ञान के लिए उनमे इस कदर जूनून था कि उन्होंने मात्र 10 साल की उम्र में अपनी पहली प्रयोगशाला भी बना ली. लेकिन आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की उम्र में काम करने का निश्चय किया और अखबार बेचना शुरू कर दिया. जब थोड़े बड़े हुए तो एक कर्मचारी के रूप में नौकरी करने लगे और इन्ही कमाए हुए पैसों से अपने प्रयोग भी करते रहे. माँ की शिक्षा से वे काफ़ी जिज्ञाशु हो गए थे और उनकी सबसे बड़ी खूबी यही थी की जो भी वो जानना चाहते थे उस पर प्रयोग करना शुरू कर देते थे.
उस समय दुनिया अँधेरे में जी रही थी ऐसे में एडिशन ने बल्ब के आविष्कार की ठानी. वे बल्ब के अविष्कार में एक-दो बार नहीं बल्कि 10000 से भी ज्यादा बार असफ़ल हुए थे. लेकिन हजारों बार असफ़ल होने के बाद भी महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिशन ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और प्रकाश देने वाले बल्ब का आविष्कार किया जो आज पूरी दुनिया को रोशन कर रहा है.
कभी बचपन में मंदबुद्धि बालक के रूप में पहचाने वाले थॉमस अल्वा एडिशन ने अपने जीवनकाल में 1093 आविष्कार किये है. जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है और जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है. दोस्तों इस दुनिया में बुरी किस्मत अगर होती तो थॉमस अल्वा एडिशन इस दुनिया को रोशन नहीं कर पाते. बुरी किस्मत पर रोने वालो की कमी नहीं है, ऐसे लोग कम ही है जो इस सोच से आगे बढ़कर अपने सपने पूरे करते है. सिर्फ कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से इस दुनिया में कुछ भी हासिल किया जा सकता है.