रक्षा बंधन की कहानी – भाईयों से जब हम बहनें मनमाने तरीके से मनपसंद उपहार के बदले, उनके हाथों में राखी का धागा बांधती हैं।
तो इसे रक्षा बंधन कहा जाता है। जोकि, हर वर्ष भाई-बहन के बीच इस प्यारी शरारतों के साथ मनाया जा रहा है।
मगर क्या यह त्योहार सिर्फ इस अर्थ तक ही सीमित है ?
शायद ऐसा कहना गलत ही होगा, क्योंकि भारत में हर त्योहार के पीछे उद्देश्य जरूर होता है।..फिर यह स्वाभाविक ही है कि रक्षा के बंधन यानि रक्षा बंधन को मनाने के पीछे भी कई कारण हो। तो चलिए इस त्योहार से संबंधित जानकारी को पढ़ते हैं।
देखा जाए, रक्षा बंधन- भाई की ओर से बहन की रक्षा का बंधन है।
जो संपूर्ण भारत में श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लेकिन इस भाव के अलावा, रक्षा बंधन को मनाने के पीछे कई पौराणिक व ऐतिहासिक कहानियां छिपी है। जो आप आगे पढ़ेंगे।
रक्षा बंधन की कहानी –
रक्षा बंधन की कहानी – पौराणिक कथा
प्राचीन काल में जब दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। इस बीच देवराज इंद्र की पत्नी सची, देवताओं की हार से व्याकुल हो गई । उन्होंने इंद्र के प्राणों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला धागा बना कर दिया। सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई पर बांध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की मंगलकामना भी की। इसके बाद इंद्र ने दानवों पर विजय हासिल कर ली थी।
रक्षा बंधन का त्योहार सिर्फ इंद्र के संबंध में महत्वपूर्ण नहीं बल्कि कृष्ण और द्रौपदी की संबंध में भी त्योहार को देखा गया है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ में राखी बांधी थी। इसी युद्ध के समय कुंती ने अपने पौत्र अभिमन्यु के हाथ में राखी बांधी।
रक्षा बंधन की कहानी – ऐतिहासिक कथा
ऐसा कहा गया है जब सिकंदर ने भारत में आगमन किया तो सिकंदर की पत्नी रोशानक ने राजा पोरस को राखी भेजी थी। जो सिकंदर की रक्षा के लिए पोरस को दी गई भेंट थी। युद्ध के समय जब राजा पोरस ने रणक्षेत्र पर अपने हाथ मे बंधी रखी देखी तो उन्होंने सिकंदर पर हमले नहीं किये।
ये है रक्षा बंधन की कहानी – रक्षा बंधन पर कई पौराणिक एवं ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित हैं। चाहे वह पति की रक्षा के लिए पत्नी ने पति को राखी बांधी हो, मां ने अपने बेटे को या युद्ध में अपने पति की रक्षा के लिए शत्रु को भेंट की गई राखी हो। मगर इन सभी के मध्य एक बात सामान्य है कि यह त्योहार ‘रक्षा’ से संबंधित है।