ओके का इतिहास – आम बोलचाल की भाषा में अक्सर लोग ओके शब्द का इस्तेमाल करते हैं. इस शब्द का चलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग बात-बात पर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं.
दिनभर में ना जाने कितनी बार हम ओके शब्द का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये कभी नहीं सोचा होगा कि आखिर इस शब्द का इतिहास क्या है और इसका चलन कैसे शुरू हुआ.
तो चलिए ओके का इतिहास जानने की कोशिश करते हैं कि हर किसी की ज़ुबान पर चढ़े रहने वाले इस शब्द को बोलने की शुरूआत आखिर कहां से हुई थी.
ओके का इतिहास – ऐसे शुरू हुआ ओके बोलने का चलन
ओके एक ऐसा शब्द है जिसका आम बोलचाल की भाषा में सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है. ये शब्द लोगों की जुबान से बात-बात पर निकल पड़ता है. चाहे इसका असली मतलब किसी को पता हो या ना हो.
दरअसल इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो इस शब्द के शुरू होने के पीछे कई कहानियां बताई जाती है. कहा जाता है कि साल 1839 में लेखकों के बीच नए-नए संक्षिप्त शब्दों का प्रचलन शुरू किया था. जिनमें से एक है ओके यानी ऑल करेक्ट. इस शब्द को पहली बार व्याकरण पर एक व्यंग्य में छापा गया था.
इसके अलावा कहा जाता है कि इस शब्द का इजाद यूरोप के गृहयुद्ध के दौरान हुआ होगा. उस दौरान ये बिस्किट का निकनेम हुआ करता था.
ओके के इतिहास और इसके प्रचलन को लेकर एक और कहानी प्रचलित है. जिसके मुताबिक कुछ लोगों का मानना है कि इंग्लैंड के आठवें राष्ट्रपति मार्टिन वैन बुरेन के चुनाव प्रचार के दौरान ओके शब्द प्रचलित हुआ था.
बताया जाता है कि न्यूयॉर्क का ओल्ड किंडरहुक उनका होमटाउन हुआ करता था और जिसे संक्षिप्त में वो ओके कहते थे और इसलिए उन्होंने चुनाव के दौरान वोट फॉर ओके का नारा बुलंद किया था.
जबकि कई लोगों का मानना है कि ओके सिर्फ एक आध्यात्म की मुद्रा है और ये मुद्रा सीखने का प्रतीक है. ज्यादातर कलाकृतियों में भगवान गौतम बुद्ध को इसी मुद्रा में दिखाया गया है.
ये है ओके का इतिहास – भले ही ओके शब्द के प्रचलन को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है और इसके मतलब भी अलग-अलग ही क्यों ना हो बावजूद इसके लोग आम बोलचाल की भाषा में इसका सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं.