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उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के चुनाव में होता है बस ये एक अंतर

उपराष्‍ट्रपति का चुनाव

भारत में आगामी उपराष्‍ट्रपति का चुनाव वेंकैया नायडू और गोपालकृष्‍ण गांधी के बीच होने वाला है।

ये चुनाव अगस्‍त के महीने में होने वाला है इसमें भाजपा की ओर से वेंकैया नायडू को चुना गया है।

बीते दिनों भारत के राष्‍ट्रपति पद के लिए भी रामनाथ कोविंग और मीरा कुमार के बीच चुनाव हुआ था जिसमें रामनाथ कोविंद को भारी मतों से जीत हासिल हुई है। वहीं दूसरी ओर उपराष्‍ट्रपति पद के चुनावों से पूर्व ही ये माना जा रहा है कि वेंकैया नायडू की ही जीत होगी।

राष्‍ट्रपति, देश का सबसे बड़ा नागरिक होता है और उनके पास कई शक्‍तियां भी होती हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि उपराष्‍ट्रपति और राष्‍ट्रपति में क्‍या अंतर है?

चलिए हम आपको बताते हैं कैसे होता है उपराष्‍ट्रपति का चुनाव – उपराष्‍ट्रपति और राष्‍ट्रपति के चुनाव के बीच क्‍या अंतर है।

उपराष्‍ट्रपति और राष्‍ट्रपति चुनाव में अंतर

देखा जाए तो उपराष्‍ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया भी राष्‍ट्रपति चुनाव की तरह ही है। दोनों चुनावों में सिर्फ यही अंतर होता है कि उपराष्‍ट्रपति चुनाव में विधायक इलेक्‍टोरल कॉलेज का हिस्‍सा नहीं होते हैं। इसका मतलब यह है कि वह उपराष्‍ट्रपति के चुनाव में वोटिंग नहीं करते हैं।

उपराष्‍ट्रपति का चुनाव – वोटिंग वैल्‍यू

उपराष्‍ट्रपति के चुनाव में प्रत्‍येक वोट की वैल्‍यू 1 होती है। चुनाव के लिए प्रत्‍याशी के नाम वाला बैलट पेपर इस्‍तेमाल किया जाता है। इस बैलट पेपर पर किसी पार्टी का चुनाव चिह्न या अन्‍य कोई निशान नहीं होता है। इसमें दो कॉलम होते हैं- एक पर उम्‍मीदवार का और दूसरे पर वरीयता के क्रम को चिन्हित किया जाता है।

योग्‍यता

– उपराष्‍ट्रपति चुनाव में हिस्‍सा लेने के लिए व्‍यक्‍ति का भारत का नागरिक होना जरूरी है।

– उम्‍मीदवार की उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए।

– राज्‍यसभा के सदस्‍य के चुनाव के लिए योग्‍य होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति बनने के लिए व्‍यक्‍ति के पास भारत सरकार या राज्‍य सरकार या अन्‍य किसी स्‍थानीय सरकार के तहत कोई ऑफिस ऑफ प्रॉफिट नहीं होना चाहिए।