कहा जाता है, दो दिलों की जोड़ी पहले से भगवान बनाता है.
उनका मेल शादी के पवित्र बंधन से हो जाता है.
लेकिन आज के जमाने में यूवा शादी को लेकर पहले नकारात्मक लगते है.
आज की युवा पीढ़ी को अपने शर्तों पर जीना पसंद है. इस लिए उनको जीवनसाथी भी अपने समान चाहिए होता है.
चाहे अरेंज्ड मैरेज़ हो या फिर लव मैरेज़, लड़के ज्यादातर अपनी शर्तों पर चलने वाली लड़कीयों से शादी करते है.
मेट्रो शहर और वर्किंग युवा की जब बात होती है, तो ज्यादातर इन युवा का मानना होता है की मेरा/ मेरी जीवनसाथी मेरे व्यवसाय को समझने वाला /वाली हो.
मगर समस्या तब शुरू होती है जब यही युवा पीढ़ी शादी के बाद कहते नज़र आते है की हम एक दूजे के लिए नहीं बने है.
शादी क्या है ?
यह एक संस्था है.
भारत एक सांस्कृतिक देश है. जहा शादी को लोग आज भी पवित्र बंधन मानते है.
दो दिलों के साथ दो परिवारों का मेल यह शादी के बाद होता है.
आजीवन सुख दुःख में एक दुसरे का साथ निभाने का वचन शादी में लिया जाता है.