आस्था और आध्यात्म का मेल है अमरावती का अंबादेवी मंदिर.
यहां रोज़ाना सैकड़ो की तादाद में भक्त आस्था के फ़ूल चढ़ाने आते है.
इस मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. ये मंदिर महाराष्ट्र के अमरावती शहर के ठीक बीचों बीच स्थित है.
ख़ासतौर पर दशहरे के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भीड़ ख़ास तौर पर बढ़ जाती है,हर साल यहां एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है.
क्यों है ये मंदिर ऐतिहासिक रुप से महत्वपूर्ण-
रुक्मिणी जो कि राजा भीष्मक की बेटी थी.
भगवान कृष्ण ने यहाँ से उनका अपहरण कर लिया था और बाद में उनसे शादी कर ली.
दअरसल भीष्मक विदर्भ के राजा थे और उनके बड़े बेटे का नाम रुक्मी था, जो कि मथुरा के राजा कंस का ख़ास मित्र था. भगवान कृष्ण ने ही कंस का वध किया था इसलिए वो इस विवाह के विरोध में थे. वो अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह अपने मित्र शिशुपाल से करना चाहते थे. रुक्मीणी के दिल में भगवान कृष्ण ही बसे हुए थे. यह माना जाता है कि रुक्मिणी, राजा भीष्मक की बेटी, ने शिशुपाल से अपनी शादी के एक दिन पहले इस मंदिर का दौरा किया. सभी उनके भगवान कृष्ण से विवाह के खिलाफ़ थे, इसलिए परिवार की मर्जी से विवाह संभव नहीं था. इसलिए जब रुक्मिणी इस मंदिर में मां अंबादेवी की आराधना के लिए आई तब भगवान कृष्ण ने उनका अपना अपहरण कर लिया.
ऐसा कि कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में आता है, वो खाली हाथ नहीं जाता है.
शक्ति की प्रतीक मां अंबा देवी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है.
यहां पहुंचने के तरीके-
ट्रेन से -ये मंदिर रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर दूर है.
रोड से– टैक्सी, बस और अन्य यातायात के साधन आसपास के शहरों को अमरावती से जोड़ते हैं
एयरपोर्ट से-अमरावती शहर से जुड़ा है नागपुर एयरपोर्ट,यहां से टैक्सी, बस और कैब हायर करके सीधे अमरावती पहुंचा जा सकता हैं.