हर बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुरू कर और अंत में उन्हीं पर लाकर खत्म करने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर आरोप प्रत्यारोप खेल शुरू कर सकते हैं.
इसके लिए जल्द ही उन्हें एक ओर मौका मिलने वाला है.
ये मौका उन्हें अपने ऊपर बनाई जा रही डॉक्यूमेंट्री फिल्म को लेकर मिल सकता है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बन गई है वो रिलीज़ होने वाली है.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आपसी रिश्ते खास अच्छे नहीं हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बन रही है, उसको रिलीज करने से पहले उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी लेनी पड़ेगी.
अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो वह फिल्म रिलीज नहीं होगी. क्योंकि फिल्म को लेकर जो खबर है उसके अनुसार उसमें कुछ फुटेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेत्री शीला दीक्षित के भी शामिल हैं.
यही कारण है कि फिल्म रिलीज होने से पहले एनओसी जरूरी है. जैसा की अनुमान है कि यह एनओसी इतनी आसानी से मिलेगी नहीं. और केजरीवाल इसको लेकर ही हंगामा करेंगे. बजाए इसके कि वे फिल्म के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के.
हालांकि, सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्देशक को कहा है कि पहले इन दोनों व्यक्तियों की एनओसी उन्हें दी जाए, उसके बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा.
खबर है कि अरविंद केजरीवाल के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म सेंसर बोर्ड ने सात कट के साथ मंजूरी तो दे दी है लेकिन पीएम मोदी और दीक्षित के फुटेज के इस्तेमाल के चलते दोनों से अनापत्ति (एनओसी) प्रमाणपत्र लाने को कहा गया है.
अब ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि अगर मोदी इस अरविंद केजरीवाल के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म को ना कह देते हैं तो केजरीवाल की इस फिल्म का क्या होगा.
क्योंकि इस फिल्म में केजरीवाल के आंदोलन से लेकर सीएम बनने तक के सफर पर फोकस किया गया है. वहीं, खबर के अनुसार इसमें पीएम मोदी, शीला दीक्षित समेत कई नेताओं के बारे में दिए गए आपत्तिजनक बयान भी है.
इसलिए शुरुआत में सेंसर बोर्ड की इग्जामिनिंग कमेटी ने इसे पास करने से मना कर दिया था. लिहाजा केजरीवाल को बैठे बैठाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने का एक मौका ओर मिल गया है.