मौत घात लगाए बैठी थी.
लेकिन भारतीय सेना ने 23 वर्षीय कश्मीरी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को मालूम नहीं था. वह तो अपनी चचेरी बहन की शादी में आया था.
सेना में तैनाती के बाद पहली बार लेफ्टिनेंट उमर फैयाज ने अपनी चचेरी बहन की शादी के लिए छुट्टी ली थी. इसके लिए वे शोपियां में अपने चाचा के घर गए हुए थे.
बताया जाता है जिस वक्त वो दुल्हन बनी अपनी बहन के साथ बैठे थे. तभी वहां आतंकवादियों का समूह आया और उन्हें उठाकर ले गया. वहां उन्हें कड़ी यातनाएं दी गई और उसके बाद तड़पा तड़पा कर उन्हें मार डाला.
आतंकवादी इसके जरिए घाटी के उन लोगों में दहशत कायम करना चाहते है जो सेना या पुलिस में जाना चाहते हैं. आतंकियों की कोशिश है कि घाटी के लड़के सेना और पुलिस में नहीं जाएंगे तो इससे उन्हें फायदा होगा.
लेकिन आतंकवादियों को नहीं मालूम कि सेना इसके बाद उन लोगों को आसानी से नहीं छोड़ने वाली जिन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया है. सेना के लिए आतंकवादियों को इस घटना के बाद कड़ा सबक सिखाना बेहद जरूरी हो गया है.
राजपूताना राइफल्स के लेफ्टीनेंट जनरल अभय कृष्णा ने कहा है कि ये पल कश्मीर के लिए अहम होगा और आतंकवाद को लेकर कश्मीरियों के नजरिए में ये ऐतिहासिक बदलाव लाएगा.
सेना न केवल शोक संतप्त परिवार के साथ है बल्कि भारतीय सेना ने अपने 23 वर्षीय कश्मीरी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के हत्यारों को सजा देने का संकल्प भी लिया.
जिस वक्त राजपूताना राइफल्स फैयाज को अंतिम सलामी दे रही थी उसी वक्त सेना ने ये कसम भी खाई है कि जब तक फैयाज के हत्यारों को सजा नहीं दे देंगे तब तक सेना चैन से नहीं बैठेगी. बता दें कि सेना भले ही अपने युवा साथी की कायरतापूर्ण व बरबरता से की गई हत्या पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रही हो लेकिन आने वाले दिनों में वह फैयाज के हत्यारों पर कहर बनकर टूटने वाली है.
गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट उमर फैयाज जम्मू एवं कश्मीर के अखनूर क्षेत्र में सेवारत थे, उनका पैतृक घर कुलगाम में था. 9 मई को उनका आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था. बाद में उनका गोलियों से छलनी शव दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले से बरामद किया गया.