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कश्मीर में हिंसा के पीछे ये है असली खलनायक

इस्लामी कट्टरपंथ

ये सवाल अक्सर जेहन में आता है कि आखिर क्या कारण है कि कश्मीर में लोग खासकर युवाओं का रूझान इस्लामी कट्टरपंथ की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

तमाम सरकारी रोकथाम के बावजूद उनकों कट्टरपंथ की बौद्धिक खुराक मिलना कम नहीं हो रही. अब जाकर इस बात का खुलासा हुआ है कि कश्मीर में लगातार हो रही हिंसा और पत्थबाजी के पीछे जो असली खलननायक हैं उसमें सऊदी अरब के कुछ मौलाना व पाकिस्तान मीडिया प्रमुख है.

कश्मीर में लगातार हो रही हिंसा और पत्थबाजी के पीछे पाकिस्तान और सऊदी अरब का हाथ माना जा रहा है. अब जो जानकारी सरकार को मिली है उसके अनुसार, सऊदी अरब के कुछ मौलाना व पाकिस्तान मीडिया के लोग कश्मीर के लोगों से लगातार संपर्क में रहते हैं.

और ये ही लोग इनको जेहाद और भारत से आजादी के लिए भड़का रहे हैं.

बताया जा रहा है कि कश्मीर में प्राइवेट केबल नेटवर्क चला रहे लोग पाकिस्तान के 50 से ज्यादा चैनल चला रहे हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि भारत में प्रतिबंधित जाकिर नाइक का पीस टीवी भी यहां चलाया जा रहा है.

इतना ही नहीं कश्मीर में सैटलाइट सर्विस प्रवाइडर्स के होने के बावजूद अधिकांश लोग प्राइवेट केबल को प्राथमिकता दे रहे हैं. क्योंकि इन केबल कनेक्शनों पर पाकिस्तानी और सऊदी चैनल्स देखे जा सकते हैं.

ताज्जुब होगा कि यहां 50,000 से ज्यादा प्राइवेट केबल कनेक्शन हैं. जो  सऊदी सुन्नाह, सऊदी कुरान, अल अरेबिया, पैगाम, जियो न्यूज, डॉन न्यूज जैसे कई पाकिस्तानी व सऊदी चैनल अपने केबल पर धड़ल्ले से चलाते हैं.

जबकि सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से इन चैनलों पर रोक लगाई हुई है. कानून के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के साथ देश के किसी भी हिस्से में बिना सूचना प्रसारण मंत्रालय की अनुमति के कोई विदेशी चैनल प्रसारित नहीं किया जा सकता है.

खुफिया जानकारी के अनुसार अधिकतर पाकिस्तानी चैनल हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकियों के मारे जाने वाले आतंकियों को शहीद बताते हैं. वे कश्मीर में आतंकवाद को आजादी की लड़ाई बताते हैं.

जबकि कुछ सऊदी चैनल इस्लामी कट्टरपंथ विचारधारा को फैलाने का काम कर रहे हैं. वे इस्लाम और शरिया का गलत प्रचार करके लोगों को भड़का रहे हैं. इन चैनलों पर वहाबी मौलाना जिस प्रकार इस्लाम के कट्टर स्वरूप को लोगों के सामने पेश कर रहे हैं उससे से भी घाटी में लोगों में इस्लामी कट्टरपंथ अब साफ देखा जा रहा है.

उनके नारों में अब कश्मीर की आजादी से ज्यादा इस्लामी राज्य के नारे सुनाई पड़ते हैं. इसलिए अब कश्मीर में लोगों को इस्लामी कट्टरपन की बौद्धिक खुराक बंद करना बेहद जरूरी है.