लगता है भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का गुजरात दंगों और कोर्ट कचहरी से अभी आसानी पीछा नहीं छूटने वाला है.
अब गुजरात में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में आरोपी माया कोडनानी चाहती है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कोर्ट आकर उनके केस में गवाही दें.
उनकी इस मांग के संबंध में एक विशेष अदालत ने माया कोडनानी की याचिका मंजूर भी कर ली है. इस याचिका में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और 13 अन्य को बचाव पक्ष की तरफ से गवाही के लिए बुलाए जाने को इजाजत मांगी गई थी.
आपको बता दें कि माया कोडनानी पर गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा पाटिया नरसंहार में शामिल होने का आरोप है. इसको लेकर उन पर निचली अदालत में आपराधिक मुकदमा भी चला जिसमें उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी.
इसके विरूद्ध माया कोडनानी ने उपरी अदालत में अपील भी है. जहां पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि गवाहों के माध्यम से कोडनानी यह साबित करने की कोशिश में हैं कि घटना के वक्त वो मौके पर मौजूद नहीं थीं.
आपको बता दे कि 2002 में गोधरा के ट्रेन में कार सेवकों को जिंदा जलाए के बाद गुजरात के विभिन्न भागों में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.
इन दंगों में कई लोग मारे गए थे. उस वक्त आरोप भी लगा था कि इन दंगों में भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के कई नेता शामिल थे.
बहराल, माया कोडनानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पीबी देसाई ने कहा कि गवाहों को सुनवाई के उचित एवं प्रासंगिक चरणों पर समन जारी किए जाने चाहिए.
अगर कुछ गवाहों के दोहराए जाने की संभावना हो तो अगले चरणों में उन्हें नहीं बुलाए जाने का विकल्प भी है लेकिन इसमें कोई अपत्ति ना आने और बचाव पक्ष के गवाहों से पूछताछ के आरोपी के अधिकारी को पहचानते हुए मेरा मानना है कि गवाहों से पूछताछ ना तो गलत है और ना ही असंगत.
बता दें कि 2002 में हुए नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा पाई कोडनानी को इस फैसले से आने वाले समय में कुछ राहत मिलने की संभावना है.