जब जब भारतीय नौ सेना का पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव का जिक्र आता है तो सबके मन में एक सवाल अवश्य आता होगा कि आखिर कुलभूषण को पाकिस्तान ने पकड़ा कैसे.
क्या वह भारत के लिए वाकई में जासूसी कर रहा था.
अगर आपको याद हो तो कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी पठानकोट हमले के बाद हुई है. जब भारत ने पठानकोट के हमलावरों का पाकिस्तान के साथ कनेक्शनों का खुलासा किया तो पूरी दुनिया में पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया.
उस स्थिति में पाकिस्तान ने भारत को अपने यहां दहशतगर्दी के लिए जिम्मेंदार ठहराने के लिए एक चाल चली. उसने ईरान में काम करने वाले भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव का पाकिस्तान समर्थित तालिबान को पैसा देकर अपहरण करा लिया और बाद में उनसे पाक सेना ने जाधव को अपने कब्जे में लेकर बलूचिस्तान से गिरफ्तारी दिखा दी.
वहीं कुछ बलोच लोगों को का दावा है कि कुलभूषण जाधव का संभवत अफगानिस्तान सीमा से अपहरण किया गया है, जब वे अपने व्यापार के सिलसिले में ईरान से वहां आए हुए थे.
इस तरह से हुई कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी –
बाद में पाक सेना ने कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी बलूचिस्तान से दिखा कर मीडिया में ये प्रोपेगेंडा किया कि जाधव भारतीय खुफिया एजेंसी राॅ के एजेंट हैं और उनको बलूचिस्तान में गड़बड़ी फैलाते हुए पकड़ा गया है.
गौरतलब हो कि कुलभूषण ईरान से कानूनी तरीके से अपना कारोबार चला रहे थे. यही नहीं पाक सेना ने अपने दावे के समर्थन में पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के कथित इकबालिया बयान का एक वीडियो जारी किया.
वीडियो में कुलभूषण को ये कहते हुए बताया गया कि वो 1991 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे. जारी किए गए वीडियो में कुलभूषण ने कहा कि उन्होंने 1987 में नेशनल डिफेंस अकैडमी ज्वॉइन किया था.
लेकिन पाकिस्तान के झूठ की पोल उस वक्त खुल गई जब उसने अपने दावे के समर्थन में कहा कि जाधव के पास भाारतीय पासपोर्ट भी है. भला कोई जासूस अपने साथ अपने देश का पासपोर्ट रखकर दूसरे देश में जासूसी करने क्यों जाएगा.
जहां तक दूसरे देशों में जासूसी का सवाल है तो कोई भी देश अपने पासपोर्ट पर इस प्रकार जासूसी नहीं कराता है, क्योंकि इससे अंतराराष्ट्रीय समुदाय में उसकी बदनामी होती है.
बहराल, पाकिस्तान सेना की आधारिक सूचना के द्वारा जाधव को लेकर अभी तक जो जानकारी आई है उससे इतना तो साफ है कि पाकिस्तान के पास जाधव को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं है.