8 मई 1953 को डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पंजाब से लोकल ट्रेन में सवार होकर कश्मीर के लिए निकले थे.
कहते हैं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी मात्र एक बात से नाराज थे कि भारत केएक राज्य और भारत के अभिन्न अंग, कश्मीर में जाने के लिए हमारी नेहरु सरकार ने एक परमिट प्रावधान क्यों शुरू किया है.
जवाहर लाल नेहरु तो सदा से यह बोलते आये हैं कि कश्मीर भारत का अंग है और आज जब कश्मीर में जाने के लिए भारत के लोगों को परमिट लेना पड़ रहा है तो ऐसे में हम कश्मीर को भारत का अंग कैसे बोल सकते हैं.
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ कश्मीर जाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी भी मौजूद थे. लोगों का हुजूम श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अमृतसर स्टेशन पर भी मिला था.
कश्मीर का यह मुद्दा था अहम
असल में तब संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ा गया था.
संविधान में प्रावधान किया गया था कि कोई भी भारत का नागरिक सरकार की बिना अनुमति के कश्मीर नहीं जा सकता है. कश्मीर में जाने के लिए अब सरकार से एक परमिट भारत के लोगों को लेना होगा. डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी आज जिनको भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्त्ता अपना गुरु मानता हैं, उनका बोलना था कि परमिट जैसी चीज से कश्मीर का मुद्दा और उलझ जायेगा. यह समय 1953 का था जब धीरे-धीरे कश्मीर को लेकर देशभर में विपरीत लहर चलने लगी थी. कश्मीर भारत के हाथों से निकलकर असामाजिक तत्वों के हाथों में जा रहा था.
डोगरा समुदाय के लोगों ने कश्मीर के अंदर आवाज उठानी शुरू कर दी थी कि कश्मीर में सब कुछ सही नहीं है. कश्मीरी पंडितों के साथ यहाँ अन्याय हो रहे हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी समझ गये थे कि आज अगर कश्मीर से परमिट और 370 जैसे अनुच्छेद खत्म नहीं हुए तो आने वाले समय में यह कश्मीर भारत के गले की फ़ांस बन जायेगा.
क्या था श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्लान
कहते हैं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या कश्मीर के अंदर जेल में ही की गयी थी. आप हमारी अगली सीरिज में इस हत्या को विस्तार से पढ़ पाएंगे. आज हम आपको बताते हैं कि कश्मीर के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्लान क्या था-
- सबसे पहले तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी चाहते थे कि कश्मीर की सीमा पर इतना अच्छा सेना का पहरा लगाया जाए कि पाकिस्तान से कोई भी घुसपैठी कश्मीर में ना आये. सभी जानते थे कि कश्मीर में धीरे-धीरे मुस्लिम संख्या बढ़ रही है और कई लोग देश के बाहर से आकर कश्मीर का माहौल बिगाड़ रहे रहे हैं. आज कश्मीर के हालात हम सभी के सामने हैं.
- अलगाववादी भारत के लिए बड़ी समस्या बन जायेंगे और यदि इनको आज नहीं रोका गया तो यह लोग आने वाले कल को दूषित कर देंगे. श्यामा जी यह बात समझगये थे कि अलगाववाद आखिर भारत के कश्मीर के साथ क्या करने वाला है. आज अलगाववादी क्या कर रहे हैं यह बात सभी जानते हैं.
- कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का जिम्मा किसी को तो लेना ही होगा, ऐसा श्यामा प्रसाद जी समझ गये थे. इनका प्लान था कि कैसे भी कैसे यहाँ के कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा दिलाई जाए ताकि कल इनके साथ कश्मीर में कुछ भी गलत ना हो. आज कश्मीर में पंडित कहाँ हैं, यह बात हम सभी जानते हैं और यह भी हम देख चुके हैं कि कश्मीर में पंडितों के साथ क्या हुआ है.
- कश्मीर के लोगों को देशभक्ति का प्याला पिलाने का भी प्लान श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बनाया था. इनको दिखने लगा था कि यहाँ कश्मीर में भारत के लोगों को अपने ही देश के खिलाफ बहकाया जा रहा है.
तो इन चार मुख्य बातों के दम पर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को बचाना चाहते थे. आज डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हमारे बीच में नहीं हैं किन्तु इनके सपनों की सरकार जरुर केंद्र में है.
मोदी को किसी भी कीमत पर अपने गुरु के इस सपने को पूरा करना ही होगा और कश्मीर को पाकिस्तान बनने से रोकना होगा.