आइंस्टीन का गुरुमंत्र – दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे अलबर्ट आइंस्टीन।
उनका दिमाग दुनिया में सबसे तेज था। आइंस्टीन ने ही सापेक्षता का सिद्धांत (Theory of Relativity) दिया था, जिसमें उन्होंने ब्रह्माण्ड के नियमों को समझाया था। आइंस्टीन के इस सिद्धांत ने विज्ञान की दशा और दिशा दोनों को बदल कर रख दिया था। आइंस्टीन जितने बड़े वैज्ञानिक थे उतने बड़े ही दार्शनिक भी थे। सिर्फ विज्ञान ही नहीं बल्कि आम आदमी की जिंदगी में भी उनके विचार एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते है।
हालाँकि आइंस्टीन जितने महान वैज्ञानिक थे स्कूल के दिनों में पढ़ाई में उतने ही कमजोर भी थे।
जी हाँ आइंस्टीन स्कूल के समय पढ़ाई में इतने कमजोर थे कि उनके साथी उनका मजाक उड़ाया करते थे। इसी बात से तंग आकर आइंस्टीन ने एक दिन अपने शिक्षक से गंभीरतापूर्वक पूछा, क्या मैं कभी किसी तरह का विद्वान बन भी सकता हूँ या नहीं?
तब उनके अध्यापक ने कहा दिलचस्पी, लगन, एकाग्रता और निरंतर अभ्यास द्वारा कोई भी व्यक्ति महान बन सकता है।
अपने अध्यापक के इन उपदेशों को आइंस्टीन ने गुरुमंत्र की तरह लिया। इस गुरुमंत्र को अपने मन में बैठाकर और दृढसंकल्प के साथ अध्ययन में जुट गये। आइंस्टीन का गुरुमंत्र जिसने सबकुछ बदलकर रख दिया. विश्व जानता है उन्होंने विज्ञान का नक्शा ही बदल कर रख दिया। आज उसी कमजोर विध्यार्थी को अणु विज्ञान और सापेक्षता के सिद्धांत के जनक के रूप में ख्याति प्राप्त है।
आइंस्टीन की एक कमजोर स्टूडेंट से महान वैज्ञानिक बनने तक की कहानी वाकई में किसी चमत्कार से कम नही है।
ये था आइंस्टीन का गुरुमंत्र – आइंस्टीन आज उन लाखों-करोड़ों कमजोर स्टूडेंट के किए किसी इंस्पिरेशन से कम नही है जो अपनी क्लास में मजाक बनते है। आज कोई भी व्यक्ति आइंस्टीन का गुरुमंत्र दिलचस्पी, लगन, एकाग्रता और निरंतर अभ्यास को अपनाकर महान बन सकता है।