अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए पर अक्सर दूसरे देशों में राजनीतिक हत्याओं के आरोप लगते रहे हैं.
ऐसा ही एक आरोप लगा था पाकिस्तान के तानाशाह जनरल जियाउल हक को लेकर. बताया जाता है कि जियाउल हक की हत्या इस प्रकार से की गई थी कि किसी को उस पर शक न हो.
बात 17 अगस्त 1988 की है.
पाकिस्तान के बहावलपुर एयरबेस से दोपहर तीन बजकर 46 मिनट पर अमरीका में बने हरकुलीज सी-130 विमान ने जैसे ही टेक ऑफ किया उसके कुछ देर बाद वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
दरअसल, जनरल जिया उस दिन अमरीकी टैंक एमआई अब्राहम का परीक्षण देखने बहावलपुर गए थे. बताया जाता है कि जनरल जिया वहां जाना नहीं चाहते थे, लेकिन उनकी फौज के ही कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन पर जोर डाला कि वो वहां जरूर जाएं.
जनरल को ये बात मालूम थी कि वहां पर उनकी जान को खतरा है इसलिए वे उस दौरे पर नहीं जाना चाहते थे लेकिन उनके साथियों ने बार-बार फोन कर उन पर दबाव बनाया.
जनरल को विश्वास दिलाने के लिए एक ऐसी चाल चली जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है.
बताया जाता है कि जियाउल हक को विश्वास दिलाने के अमेरिका खुफिया एजेंसी ने अपने दो वरिष्ठ लोगों को भी उस विमान में बैठा दिया, ताकि जिया को यकीन हो जाए कि उनके रहते वहां उन पर कोई हमला नहीं हो सकता है.
विमान में जनरल जिया उल हक के साथ पाकिस्तानी ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ के प्रमुख जनरल अख्तर अब्दुल रहमान, पाकिस्तान में अमरीका के राजदूत अरनॉल्ड राफेल, पाकिस्तान में अमरीकी सैन्य सहायता मिशन के प्रमुख जनरल हरबर्ट वासम और पाकिस्तानी सेना के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी थे, जो इस दुर्घटना में मारे गए थे.
कहा जाता है कि अमेरिका ने जिया को ठिकाने के लिए अपने राजदूत अरनॉल्ड राफेल और जनरल हरबर्ट वासम को भी उनके साथ मरवा दिया. ताकि पाकिस्तिानियों या दुनिया को यह शक न हो कि जनरल जियाउल हक की हत्या के पीछे अमेरिका का हाथ है.
1988 में रॉ के प्रमुख आनंद कुमार वर्मा रहस्योद्घाटन करते हैं कि बहुत कम लोगों को पता है कि जिस समय जिया की मौत हुई, उस समय भारत और पाकिस्तान सियाचीन का समाधान ढूँढने के बहुत नजदीक थे. जिया को इसलिए रास्ते से हटाया गया क्योंकि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान में यह समझौता हो.
अमरीका ने इस दुर्घटना की जाँच के लिए वायुसेना के अधिकारियों का दल पाकिस्तान भेजा. अमरीकी जाँचकर्ताओं ने बताया कि दुर्घटना का कारण तकनीकी गड़बड़ी थी.
दूसरी तरफ, पाकिस्तानी जाँच में पाया गया कि ये दुर्घटना षड्यंत्र की वजह से हुई और विमान के ऐलीवेटर बूस्टर पैकेज से छेड़खानी के सबूत पाए गए.
वहीं पाकिस्तान में आज भी बहुत से लोग मानते हैं कि जनरल जिया की मौत एक साधारण विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी बल्कि साजिश का नतीजा थी. जियाउल हक की हत्या हुई थी.
इसी प्रकार पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के तत्कालीन प्रमुख हमीद गुल का भी मामना है कि जिया की मौत एक हादसा नहीं था. जियाउल हक की हत्या की गई और जाँच में भी यही सामने आया था.
यही नहीं उन्होंने कहा था कि उनका शक अमेरिका की तरफ है क्योंकि अमरीका को ही इससे फायदा हुआ.