भाजपा नेता और राम मंदिर निर्माण को लेकर सक्रिय सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा है कि अगर मुस्लिम श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए तो अयोध्या तो छोड़ो फिर वो सरयू नदी के पार मस्जिद बनाने की बात भी भूल जाए.
क्योंकि जानकारों का भी मानना है कि यदि मुस्लिम समुदाय और बाबरी एक्शन कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर अड़ती है और हिंदुओं से आउट आफ कोर्ट सेटलमेंट नहीं करती है तो इससे उनके सामने भी मुश्किले खड़ी हो सकती है.
बाबरी एक्शन कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड जिस प्रकार से अड़ियल रवैया अपना रहा है उस स्थिति में यदि मामले के फैसला सुप्रीम कोर्ट में होता है तो उस स्थिति में बाबरी मस्जिद को लेकर इनका कानूनी पक्ष इतना मजबूत नहीं होगा जितना कि राम मंदिर के पक्षकारों का.
जैसा कि सब जानते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में जो सर्वे हुआ था उसमें वहां राम मंदिर को लेकर पुरातात्विक साक्ष्य मिले थे. जिनको लेकर ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था जहां वर्तमान में राम लल्ला विरजमान है वहीं स्थान मंदिर का मूल गर्भ गृह है.
और यह स्थान हिंदुओं के हिस्से में आया था. जबकि कुछ दूरी पर जो स्थान है वह सुन्नी वक्फ बोर्ड के हिस्से मे आया था.
अब जिस प्रकार हिंदू संगठनों की ओर से एक्शन कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड से अपील की जा रही है कि वो हिंदुओं को अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए स्थान पर अपना दावा छोड़ दे और सरयू नदी के दूसरे छोर पर अपनी मस्जिद बना ले.
लेकिन मुस्लिम समुदाय उसको लेकर अड़ा हुआ हैं.
ऐसे में जब फैसला कोर्ट से होगा तो उस स्थिति में यदि अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण का फैसला आता है तो आपसी समझौते में जो सरयू नदी के पार मस्जिद निर्माण की बात है उस पर भी पानी फिर जाएगा.
आपको बता दें कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है.
अपने एक दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंचे स्वामी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भाजपा के कई नेताओं से मुलाकात की.
इस दौरान उन्होंने भाजपा नेताओं को आश्वस्त किया कि तथ्य काफी मजबूत हैं, राम मंदिर अयोध्या में ही बनेगा. वहीं बनेगा जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने तय किया है. यदि मुस्लिम पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में लड़े तो उन्हें सरयू पार भी मस्जिद बनाने की जगह नहीं मिलेगी.