उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत से जहां हर कोई खुश है वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह और उनके बेटे और नोएडा से विधायक पंकज सिंह मायूस नजर आ रहे हैं.
राजनाथ सिंह ही नहीं बल्कि भाजपा के कई लोगों को उम्मीद थी कि पंकज सिंह को उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल में कोई न कोई जगह जरूर मिलेगी. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई.
दरअसल, इसके पीछे कुछ कारण है. पंकज सिंह को मंत्री नहीं बनाने के पीछे जो कहानी है वो हम आपको बतातें हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ और राजनाथ के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं.
राजनाथ सिंह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो तब उनकी और योगी आदित्यनाथ की अक्सर ठन जाती थी.
राजनाथ सिंह गोरखपुर में योगी के लोगों को चुनाव में टिकिट नहीं देते थे. जिस कारण योगी अपने लोगों को हिंदू युवा वाहिनी के बैनर पर चुनाव लड़वाकर वहां भाजपा की ओर राजनाथ सिंह के लोगों को चुनाव हरवा देते थे.
एक तो योगी और राजनाथ सिंह की अदावत पंकज सिंह की मंत्रिपद की दावेदारी में बाधा बनी.
वही दूसरी ओर राजनाथ सिंह ने इस चुनाव में जिस प्रकार अपने बेटे को टिकट दिलवाने में पार्टी पर दवाब बनवाया उससे भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह अंदरखाने राजनाथ सिंह से नाराज थे.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा में परिवार के खिलाफ रहे हैं. उनकी कोशिश है कि पार्टी में नेताओं के परिवार को कम से कम लोगों को टिकट मिलें.
लेकिन राजनाथ ने जिस प्रकार नोएडा सीट से भाजपा के सीटिंग विधायक का टिकिट कटवाकर अपने बेटे को विधायक का टिकट दिलवाया वहीं से पंकज के मंत्रिमंडल में जाने के रास्ते पर ब्रेक लग गया था.
जानकारों का मानना है कि यदि राजनाथ सिंह के बेटे को राजनीति करानी ही है और विधायक का टिकट लेना था तो वो अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ते.
उसके लिए ठाकुर बहुल जिताउ सीट से चुनाव लड़ने की राजनाथ सिंह औ उनके बेटे की जिद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं आई.
क्योंकि पंकज सिंह को यदि चुनाव लड़ना था तो वे पूर्वांचल की किसी सीट से भी ठाकुर बहुल सीट से चुनाव लड़ सकते थे. लेकिन अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए उनको भी दूसरे की जीताउ सीट से चुनाव लड़ने की लत लग गई है. जोकि राजनीति और पार्टी समीकरणों के हिसाब से उनके विरूद्ध गई.
यही कारण है पार्टी ने बड़ा नाम और गृहमंत्री के बेटे होने के बावजूद पंकज सिंह को मंत्रीमंडल में स्थान नहीं दिया. जबकि वहीं कल्याण सिंह के नाती को मंत्री बना दिया गया.