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ये कैसा इस्लाम जो कब्रिस्तान में भी पीछा नहीं छोड़ता है

इस्लाम के नाम पर

सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक कब्रिस्तान में हुए बम धमाके के बाद अब सवाल खड़ा होने लगा है कि ये कैसा इस्लाम है जो कब्रिस्तान में भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहा है.

इस्लाम का लबादा ओड़कर कुछ लोग दुनिया में जिस प्रकार नफरत फैला रहे हैं उसको लेकर पूरी मुसलमान ही नहीं बाकी लोग भी दहशत में है.

दमिश्क में एक कब्रिस्तान के पास हुए दोहरे बम विस्फोट में करीब 40 लोगों की मौत की हो गई और इतने ही घायल हैं.

आखिर इस्लाम के नाम पर ये लोग जिस प्रकार अपने ही लोगों का खून बहा रह हैं उसको देखते हुए लोगों ने अब ऐसे तत्वों और संगठनों के खिलाफ पूरी दुनिया में आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है.

क्योंकि दुनिया इस वक्त इस्लाम के नाम पर पश्चिमी एशिया और अफ्रीकी देशों में जो अमानवीय काम हो रहे हैं इसका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है ये बात अब दुनिया के मुस्लिम देशों को अब समझ लेनी चाहिए. जो कहीं न कहीं इनके प्रति साफ्ट कार्नर रखते हैं.

पहले पाकिस्तान हो या सीरिया पहले इन देशों में इस्लाम के नाम पर दरगाहों और इबादद गाहों पर हमले किए जाते थे. लेकिन अब जिस प्रकार सीरिया में कब्रिस्तान के बाहर लोगों पर हमला किया गया है वह तो आतंक ही पराकाष्ठा है.

सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक कब्रिस्तान के बाहर बस के पास उस वक्त बम विस्फाट हुआ जब बस वहां से गुजर रही थी.

आपको बता दें कि जैसे ही धार्मिक यात्रियों को लेकर बस वहां से गुजरी तो एक आत्मघाती हमलावर ने कब्रिस्तान बाब अल सगीर क्षेत्र में खुद को बम से उड़ा लिया.

इस क्षेत्र में शियाओं के कब्रिस्तान हैं जहां दुनियाभर से तीर्थयात्री आते हैं.

दुनिया में कोई भी धर्म कितना भी कट्टर क्यों न हो लेकिन वो कब्रिस्तान में ऐसी हरकत कभी नहीं करेगा. कब्रिस्तान और अस्पताल ऐसे स्थान है जहां दुनिया का क्रूर से क्रूर व्यक्ति भी ऐसी हरकत करने से पहले कई बार सोचेगा.

लेकिन अब जिस प्रकार कब्रिस्तानों को भी निशाना बनाया जा रहा है उसको देखते हुए लगता है कि अब इस्लाम के नाम बरबर्ता की अति हो गई है.