भारत के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में शुमार तिरुपति बालाजी के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर भारत में सबसे ज्यादा पैसे-गहने और कीमती सामान चढ़ाएं जाते है और इस मंदिर की हर साल की इनकम करोड़ो में होती है।
धन-दौलत के हिसाब से देखा जाए तो यह भारत का सबसे अमीर मंदिर है।
लेकिन एक प्रचलित कथा के अनुसार तिरुपति बालाजी बेहद गरीब है और कर्ज में डुबे हुए है।
भारत का सबसे अमीर मंदिर क़र्ज़ में !
तिरुपति बालाजी के गरीब होने की कथा-
एक प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्षि भृगु वैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु की छाती पर एक लात मारी।
विष्णु निद्रा से उठे और तुरंत भृगु के चरण पकड़ लिए और बोले ऋषिवर पैर में चोट तो नहीं लगी।
बस इतना कहते ही भृगु ने हाथ जोड़ लिए और बोले प्रभु आप ही सबसे सहनशील देवता है। लेकिन माता लक्ष्मी को भृगु का व्यव्हार पसंद नहीं आया और वह विष्णु जी से नाराज हो गई. नाराजगी की वजह ये थी कि भगवान ने भृगु को दंड क्यों नहीं दिया।
ये नाराजगी इतनी थी कि देवी वैकुंठ छोड़कर ही चली गई और पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म ले लिया।
तब भगवान विष्णु ने भी अपना रूप बदला और पद्मावती के पास पहुँच गए और विवाह का प्रस्ताव रख दिया। देवी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन सवाल यह खड़ा हो गया कि विवाह के लिए धन कहा से लाया जाए।
तब भगवान विष्णु को एक तरकीब सूझी उन्होंने शिव और ब्रह्मा को साक्षी मानकर कुबेर से काफी धन कर्ज ले लिया. इस कर्ज से विष्णु के वेंकटेश रूप और देवी के पद्मावती रूप का विवाह संपन्न हुआ। भगवान विष्णु ने कुबेर से कर्ज लेते वक्त यह वचन दिया था कि कलयुग के अंत तक वे कुबेर का कर्ज चुका देंगे और कर्ज समाप्त होने पर वे सूद चुकाते रहेंगे।
भगवान के कर्ज में डूबे रहने के कारण ही यहां भक्त जन बड़ी मात्रा में धन-दौलत का दान करते है ताकि भगवान कर्ज से मुक्त हो जाए।
इस तरह भारत का सबसे अमीर मंदिर – भगवान का इंसानी रूप भी कर्ज से नहीं बच पाया तो हम इंसानों की क्या औकात है।
इस प्राचीन कथा के अनुसार भगवान विष्णु और बालाजी गरीब और कर्जदार कहे गए है।