जिस समय उत्तर प्रदेश के यादव कुनबे में घमासान चल रहा था उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का एक लीक वीडियों वायरल हुआ था.
जिसने अखिलेश यादव अपने पिता और समाजवादी पार्टी सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव से मुखातिब होकर कह रहे थे कि आप ने कहा था कि तुम मुख्यमंत्री हो. तुम चाहों तो गायत्री प्रजापति को बचा सकते हों. मुख्यमंत्री चाहे तो बच सकता है प्रजापति.
लेकिन मैने आप से कहा था कि गायत्री प्रजापति मेरी यानी मुख्यमंत्री की सुनता कहा हैं. तब पर भी मैने गायत्री से कहा जाओं जाकर नेताजी यानी मुलायम सिंह से पैर पकड़कर माफी मांग लो. नेताजी माफ कर देंगे तो तुम बच सकते हैं.
लेकिन गायत्री तो चार कदम आगे की चीज है. गायत्री ने मुलायम सिंह यादव के साथ साथ अपने से उम्र में काफी छोटे अखिलेश यादव के पैर भी पकड़ लिए. और अखिलेश यादव ने भी प्रजापति को बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
आज रेप जैसे कई गंभीर आरोपों में घिरे गायत्री प्रजापति पुलिस की पहुंच से बाहर है तो उसके जिम्मेंदार बहुत हद तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव है. गायत्री को बचाने वाला कोई अगर है तो वह स्वयं मुख्यमंत्री है. नहीं तो क्या वजह है कि पॉक्सो के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नामजद मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति अभी तक अखिलेश की केबिनेट में मंत्री पद पर बने हुए.
जबकि उच्चतम न्यायालय कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक महिला तथा उसकी नाबालिग पुत्री के साथ अपने साथियों सहित सामूहिक दुष्कर्म के आरोप का संज्ञान में लेते हुए उसके खिलाफ गैर जमानती वारण्ट जारी कर चुका है.
यदि अखिलेश यादव लोकतांत्रिक शुचिता, संवैधानिक मर्यादा के साथ ही साथ संवैधानिक नैतिकता के प्रति जरा भी गम्भीर होते तो वो गायत्री को बर्खास्त भी नहीं करते तो उन्हें आरोप मुक्त नहीं होने तक अपने पद से त्याग पत्र देने के लिए कह सकते थे.
लेकिन जिस अखिलेश को मुख्तार अंसारी में गुंडा नजर आता है वो आज गायत्री प्रजापति में पवित्रता का समावेश बता रहे हैं.
गायत्री प्रसाद प्रजापति को बर्खास्त करने के बाद दोबारा अपने मत्रिमंडल में लेना, अपने चुनाव प्रचार का आगाज उस क्षेत्र से करना जहां से गायत्री प्रसाद प्रजापति चुनाव लड़ रहा है. इसके साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ संज्ञेय मामले में गैर जमानती वारण्ट जारी करने के बावजूद उसे मंत्रिमंडल में बनाए रखना ताकि पुलिस उस पर हाथ न डाल पाए.
ये सब बाते बताती हैं कि गायत्री प्रसाद प्रजापति को बचाने में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भूमिका संदिग्ध है. भला ऐसा कहीं हो सकता है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रीमंडल के उस सदस्य को नहीं खोज पा रहा रहे हैं जिसके साथ वे कुछ दिन पहले मंच पर खड़े होकर जनता से जिताने की अपील कर रहे थे.