देश के अंदर जिस प्रकार आरक्षण आंदोलन की आड़ में राजनीति हो रही है उसको देखते हुए लगता है कि कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो निशाना बनाकर राजनीति लाभ साधने की तैयारी तो नहीं हो रही.
क्योंकि इन दिनों जिस प्रकार एक बार फिर जाटों को आरक्षण आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है उसको देखते हुए तो यही लग रहा है.
गौरतलब है कि जनता दल और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की राजनीति शून्य करने में आरक्षण आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका थी. उस आरक्षण आंदोलन की हिंसा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वानाथ प्रताप सिंह से लोगों को इतना दूर कर दिया था कि ये दूरियां पाटने में उनको अपने जीवन में कभी सफलता नहीं मिली.
ऐसा ही कुछ साजिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी होती दिखाई पड़ रही है, क्योंकि आरक्षण वह दुधारी तलवार है जिस पर चलना किसी भी राजनीतिक दल और उसके नेता के लिए आसान काम नहीं है.
कोई भी बड़ा या सत्ताधारी दल न तो इसका पूर्ण समर्थन कर सकता है और न ही विरोध. विपक्ष इस आरक्षण आंदोलन की इसी कमजोर नस को दबाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पर्दे के पीछे से माहौल बनाने में लगा हुआ है.
आपने यदि गौर किया हो तो देश के विभिन्न राज्यों में आरक्षण के नाम पर आंदोलनों को हवा दी जा रही है. पहले गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन को हवा दी गई और उसके बाद जाट आरक्षण आंदोलन को भड़काया गया.
दोनों ही आंदोलनों में जिस प्रकार सुनियोजित तरीके से हिंसा को भड़काया गया है उसके पीछे मोदी विरोधियों की यही रणनीति थी.
इसके जो रिकार्ड और बातचीत मीडिया में आई उससे भी पता चलता है कि जाट आंदोलन में किस प्रकार हिंसा करवाई गई.
इसी प्रकार महाराष्ट्र में भी मराठा आरक्षण आंदोलन को खड़ा करने की कोशिश की गई. उसका मकसद भी मोदी सरकार को गलती करने के लिए उकसाना था. ताकि आंदोलन को दबाने के दौरान लोगों को भड़काकर उन्हें किसी प्रकार हिंसा की आग में घकेला जाए.
गौरतलब है कि मंडल कमीशन को लेकर जो आरक्षण विरोधी आंदोलनों हिंसक हुआ था और उसमें विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार चली गई थी, उसके पीछे भी विरोधी दलों की साजिश थी.
इस बात का खुलासा खुफिया विभाग के प्रमुख अधिकारी रहे एम के धर ने किया था. उन्होंने बताया था कि किस प्रकार पैसा देकर लोगों से विरोध के नाम पर हिंसा कराई गई.
यही कारण है कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों में जाट बहुल इलाकों में हरियाणा आदि से जाट आरक्षण समिति के लोगों को उन स्थानों पर घूमाकर मोदी के विरोध में माहौल बनाया गया और अब जाट आरक्षण को फिर से हवा दी जा रही है उससे यही संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ साजिश हो रही है.