‘मोहनदास करमचंद गाँधी’
देश का बच्चा-बच्चा इनका नाम जानता है.
नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन आदि के मास्टरमाइंड! लोहे की तरह सख्त था इनका आत्मविश्वास!
120 करोड़ लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं महात्मा गाँधी!
लेकिन अगर मैं आपसे यह कहूँ कि महात्मा गाँधी GAY थे, HOMOSEXUAL थे, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? मुह खुला का खुला रह गया ना?
जोसफ लेविफेल्ड की किताब ‘ग्रेट सोल’ पब्लिश हुई थी सन 2011 में जो कि महात्मा गाँधी की जीवनी थी! इस किताब में जर्मनी के एक यहूदी, हर्मन कालेनबाख और महात्मा गाँधी के बीच के सम्बन्ध को विस्तार से प्रकाशित किया गया था!
महात्मा गाँधी के हर्मन कैलेनबैक के लिखे हुए पत्र हम आपको अभी दिखा रहे हैं.
इन पत्रों में गाँधी ने कालेनबाख को लोअर हाउस कहा है और खुदको अपर हाउस कहा है.
एक homosexual रिलेशनशिप में अपर हाउस का मतलब होता है जो इस रिलेशनशिप में पुरुष का किरदार निभाए और लोअर हाउस का मतलब होता है जो स्त्री का किरदार निभाए.
अबतक आप समझ ही गए होंगे कि गाँधी किस किरदार को अपनाते थे.
यह बात बहस का कारण भी बनी हुई है क्योंकि भारत में यह किताब काफी राज्यों में बैन कर दी गई थी. इस किताब के रिलीज़ होने पर लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे क्योंकि भारत जैसे homophobic(जो समलैंगिकता के विरोध में है) देश में, जहां महात्मा गाँधी को इतनी इज्ज़त दी जाती है, लोग ऐसी चीज़ें बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे!
हर्मन कैलेनबैक, महात्मा गाँधी से 2 साल छोटे थे. ये दोनों पहली बार साउथ अफ्रीका में मिले थे और फिर आगे चलकर घनिष्ट मित्र बन गए. ऐसा भी कहा जाता है कि दोनों साऊथ अफ्रीका में 2 सालों तक साथ में रहे थे.
महात्मा गाँधी वाकई में गे थे या नहीं? यह राज़ तो शायद उनके साथ ही चला गया, लेकिन क्या उनके गे होने से भारत में उनकी इज्ज़त कम हो जाती? ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी! क्योंकि भारत जैसे देश में क्या कब हो जाए कोई बता नहीं सकता.
यह तो आप लोगों को जानकारी देने के लिए एक महज़ आर्टिकल था. यह हमारी मनघडंत कहानी बिलकुल नहीं है.
आपको क्या लगता है? गांधीजी के homosexual होने की बात में कितनी सच्चाई है?