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भोलेनाथ का पूजन ‘लिंग’ के रूप में ही क्यों किया जाता है !

शिवलिंग पूजा

इस दुनिया में कई जगहों पर प्राचीन शिव मंदिर पाए गए है और रिसर्च करने पर ये शिवलिंग सदिओं पुराने बताये गए है।

लेकिन क्या आप जानते है कि भोलेनाथ को लिंग रूप में शिवलिंग पूजा ही क्यों होती है।

आप सभी जानते ही है कि हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा सदियों से की जा रही है और लगभग सभी देवताओं को मूर्तियों के रूप में ही पूजा जाता रहा है। लेकिन भोलेनाथ ही एकमात्र ऐसे देवता है जिनको लिंग के रूप में पूजा जाता है।, शिवलिंग पूजा होती है

ऐसा कहा जाता है कि इस समस्त सृष्टि की उत्पत्ति शिवरात्रि के दिन ही हुई थी और इस दिन को हिन्दू धर्म में भोलेनाथ को समर्पित कर दिया गया है। इस दिन करोड़ों लोगों के द्वारा शिवलिंग पूजा होती है और उन पर जल चढ़ाया जाता है।

शिवलिंग पूजा

लेकिन कम ही लोग जानते है कि शिवलिंग पूजा क्यों होती है, दरअसल ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए।

भगवान शिव को प्रथम पुरुष भी कहा जाता है।

शिव ही वे देवता रहे है जिन्होंने कभी कोई दूसरा अवतार नहीं लिया है.

शिव को कालों काल यानि महाकाल कहा जाता है। वे जीवन और मृत्यु से परे है इसलिए केवल शिवलिंग पूजा की जाती है।

भोलेनाथ का लिंग के रूप में पूजन करने से समस्त ब्रह्माण्ड का पूजन हो जाता है क्योंकि भोलेनाथ ही समस्त सृष्टि के मूल करक है। शिव का पूजन लिंग के रूप में ही सबसे फलदायक माना गया है, इसलिए समस्त संसार में शिव लिंग देखने को मिलते है। शिव सभी देवताओं में श्रेष्ठ मानें गये है और भोलेनाथ इतने भोले है कि वे सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते है।

वैसे तो शिव का मूर्ति पूजन भी श्रेष्ठ है लेकिन लिंग का पूजन सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

तो क्यों ना आप भी इस शिवरात्री भगवान शिव के निराकार रूप शिवलिंग पर जाकर पूजा-अर्चना करे।

भगवान शिव को ज्यादा अनुष्ठान की जरूरत नही होती है बस श्रृद्धापूर्वक जल, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाने से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते है।