भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की हर गतिविधि पर दुनिया की पेनी नजर होती है.
वे कब किससे मिल रहे हैं और क्यों मिल रहे हैं यह जानने में भारतीयों ही नहीं, दुनिया के तमाम बड़े देशों की दिलचस्पी होती है.
क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ही वह शख्स है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के दुश्मनों पर नकेल कसने का जिम्मा सौंपा हुआ है.
सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इनदिनों रूस में हैं, तो यह हर कोई जानना चाहता है कि डोभाल रूस में क्या कर रहे हैं.
यूं तो डोभाल के रूस जाने का असल मकसद बहुत गोपनीय है और उसकी जानकारी इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली. लेकिन डोभाल के रूस जाने के पीछे जो बातें हो सकती हैं उसके पीछे है पाकिस्तान.
हाल में भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकी के कारण रूस को लगता है कि उसका सबसे पुराना दोस्त भारत उससे दूर जा रहा है.
इसी गलतफहमी के चलते रूस ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पींगे बढ़ानी शुरू कर दी. भारत को संदेश देने के लिए ही रूस ने पाकिस्तान के साथ गत वर्ष सितंबर में सयुंक्त सैन्य अभ्यास भी किया.
वहीं पाकिस्तान भारत के खिलाफ चीन, पाकिस्तान और रूस का गुट बनाने में जुटा है. क्योंकि अमेरिका को नियंत्रण में रखने के लिए पाकिस्तान दोनों ही देश रूस व चीन को सूट कर रहा है.
कहीं अमेरिका पर दबदबा कायम करने के चक्कर रूस पाकिस्तान की ओर न झुक जाए, यह देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी बिसात बिछानी शुरू कर दी है.
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिहाज से देखें तो हाल के वर्षों में दुनिया के मुल्कों में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं.
दुनिया में तेजी से बदल रहे हालात के बीच भारत, अमेरिका और रूस के संबंधों में भी व्यापक बदलाव आए. ओबामा के दूसरे कार्यकाल के दौरान (2012-16) भारत और अमेरिका की नजदीकियों ने एक नए संबंध को जन्म दिया.
समय बदलने के साथ रूस में बहुत कुछ बदला और 1990 के बाद विश्व के अधिकांश देश अमेरिका के पाले में आ गए. वहीं देखा गया है कि 2012 से 2016 के दौरान भारत का पुराना और ऐतिहासिक मित्र रूस का रूख अब धीरे-धीरे पाकिस्तान की ओर जा रहा है. लेकिन भारत नहीं चाहता कि रूस का झुकाव पाकिस्तान की ओर हो. रूस और भारत के संबंध कितने जरूरी है यही समझाने अजीत डोभाल मॉस्को गए हुए हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने आतंकवाद, आर्थिक सहयोग जैसे तमाम मुद्दों पर राष्ट्रपति पुतिन के खास सहयोगी रसियन सुरक्षा परिषद के निकोलेइ पात्रुशेव से मुलाकात की.
बताया जा रहा है कि ट्रंप के हाथ में अमेरिकी कमान आने के बाद पैदा भूराजनैतिक समीकरणों पर दोनों पक्षों आपस में चर्चा करना बेहद जरूरी है. ताकि रूस को समझाया जा सके, पाकिस्तान के साथ रूस की करीबी व्यर्थ है. रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध किसी भी रूप में लाभप्रद नहीं है.