ENG | HINDI

ये लोग अब ताजमहल को भी बाबरी मस्जिद बनाएंगे क्या?

Taj mahal

दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबे और अटूट प्रेम के प्रतीक, ताजमहल के साथ अब खिलवाड़ किया जा रहा है!

कौन कहता है हमारे देश में लोगों के पास काम नहीं है?

बेरोज़गारी है?

जी नहीं, लोगों के पास बहुत सा समय है काम करने के लिए, बस बात इतनी है कि वो काम बेकार का होना चाहिए जिस से किसी का भला ना हो, देश की तरक्की ना हो और जितनी ज़्यादा हो सके उतनी अशांति फैले!

उत्तर प्रदेश में सिविल जज सीनियर डिवीज़न की अदालत में एक याचिका दायर हुई है जिसके अनुसार ताजमहल को अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजो महालय घोषित करने की विनती की गयी है! इस याचिका को दायर करने वाले हैं लखनऊ के वकील हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री, सुधा शर्मा, राहुल श्रीवास्तव, अखिलेन्द्र कुमार द्विवेदी और पंकज कुमार वर्मा| और इसका जवाब माँगा गया है भारत सरकार, ग्रह मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से|

सरकारी वकील ने अदालत से १५ जुलाई तक का समय माँगा है अदालत को जवाब देने के लिए|

चलिए क़ानून तो अपनी चाल चलेगा पर कोई इन सभी वकीलों से पूछे कि इस याचिका को दायर करने के पीछे मंशा क्या है?

क्या ताज महल का हाल भी बाबरी मस्जिद जैसा करना है जिसका इतने दशकों के बाद भी कोई शांतिपूर्ण हल नहीं निकाला जा सका?

हमारे देश की शान, सारी दुनिया के पर्यटकों के लिए भारत आने की एक ख़ास वजह ताज महल के साथ ऐसा खिलवाड़ आखिर क्यों किया जा रहा है?

कोई इन वकीलों से पूछे कि क्या सिर्फ नाम बदल देने से हमारे देश से भुखमरी मिट जायेगी?

लाखों बेरोज़गारों को नौकरियां मिल जायेंगी?

क्या किसान आत्महत्या नहीं करेंगे और क्या देश में बलात्कार की समस्या का समाधान निकल आएगा?

अगर इन में से एक भी समस्या सुलझती हो ताज महल का नाम बदल देने से तो हाँ, आज ही नाम बदल दीजिये!

पर ऐसा नहीं होगा!

बल्कि सैकड़ों सालों से जो सारी दुनिया ताजमहल को जानती है, इस नए नाम को ना तो समझ पाएगी ना ही उनके लिए इसे याद रख पाना आसान होगा! आखिर में होगा यही कि पर्यटन से जो करोड़ों रूपए की आये होती है वो घट जायेगी| जिन लोगों के घर पर्यटन की वजह से चलते हैं, उनके चूल्हों में आग बुझ जायेगी! ताजमहल तो वहीँ खड़ा रहेगा पर इस विवाद की वजह से कोई भी उसके इर्द-गिर्द भटकना भी नहीं चाहेगा!

धार्मिक कारणों की वजह से एक बेबुनियाद विवाद को खड़ा करना और उसमें तेल डालना कहाँ की समझदारी है?

आशा है कि हमारी क़ानून व्यवस्था इस याचिका पर सही निर्णय दे कर हमें एक और गैरज़रूरी रक्तपात से बचा पाएगी!