दोस्तों हम आपको जिस जगह के बारे में बता रहे हैं, वह कोई देश, राज्य, शहर या गांव नहीं, बल्कि फेसबुक का ग्रुप है, जिसमें मेंबरों की संख्या 2 लाख है.
इस ग्रुप का नाम है ‘ब्लॉक्स एडवाइस’ इस ग्रुप के सारे मेम्बर मर्द हैं.
ये फेसबुक का ग्रुप जिसकी शुरूवात मई के महीने में हुई थी. बहुत ही कम समय में मेम्बरों की संख्या दिन दूनी, रात चौगुनी बढ़ती गई और पहुंच गई 2 लाख तक.
आप सोच रहे होंगे ऐसी क्या बात है फेसबुक के ग्रुप में इतनी जल्दी मेंबरों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई.
तो हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसी क्या बात है कि लोग इतनी दिलचस्पी से इस ग्रुप में जुड़ने को तैयार होते हैं.
दरअसल ये ग्रुप बलात्कार के बारे में है. जहां रेप से जुड़ी बातें की जाती हैं. रेप की तारीफ़ की जाती है. इस ग्रुप में पुरुष बताते हैं कि किसी लड़की का रेप किस तरह किया जाए. किस तरह किसी लड़की के मर्जी के खिलाफ उससे एनल सेक्स किया जा सकता है. ग्रुप के दूसरे पुरुष उनकी बातों का मजा लेते हैं और अपना अनुभव शेयर करते हैं.
ये सीक्रेट फेसबुक का ग्रुप ऑस्ट्रेलिया में शुरू किया गया था. इस पेज के बारे में दूसरों को तब पता चला, जब क्लीमेंटीन नाम के एक राइटर ने अपने Facebook पर से ‘ब्लॉक्स एडवाइस’ ग्रुप के कुछ स्क्रीन शॉट पोस्ट किए. इस ग्रुप में काफी गलत चीजें लिखी पाई गई. जैसे –
– ‘अगर औरतों से उनके कूल्हे, मुंह, खाना पकाने की कला और वैजाइना को निकाल दिया जाए, तो इस समाज में औरतों की कोई जरूरत नहीं रहेगी.’
– ‘औरतों को अगर हमारे साथ सेक्स ना करना हो तो वो हमसे मीटर भर दूर ही रहें.’
अजीबो गरीब दलील
ये फेसबुक का ग्रुप समाज की भलाई के लिए बनाया गया है!
इस ग्रुप की शुरुआत करने वाले ब्रोक पाक ने टेलीग्राफ को कहा था कि यह ग्रुप मर्दों ने एक – दूसरे को सहारा देने के लिए बनाया है.
‘ हमने ग्रुप के कुछ नियम बना रखे हैं, जो उन्हें तोड़ता है हम उसे ग्रुप से बाहर निकाल देते हैं. हम ये चाहते हैं कि जो बातें पुरुष किसी से नहीं कह पाते, वो आपस में कह सके. हम टीशर्ट बनाते हैं और उन्हें बेचकर आए पैसों को चैरिटी की में दे देते हैं’.
सोचने वाली बात है कि इनकी सोच कितनी बेकार है.
अगर चैरिटी रेप से मजे लेकर होती है, तो ऐसी चैरिटी की जरुरत हीं भला क्या है. बात ये नहीं है कि प्रो-रेप बातें किसी सीक्रेट ग्रुप में की जा रही है, जिससे कोई नुकसान नहीं होगा. लेकिन मुद्दा यहां ये है कि लोगों की ये कैसी सोच है, जिसमें हिंसा के नाम पर मजे लेते हैं.
आप सोचेंगे कि इस तरह Facebook की किसी पेज पर ग्रुप बनाकर अगर कोई इस तरह की बातें करता है, तो इससे भला औरतों को क्या नुकसान हो सकता है. जरा अपने दिमाग पर जोर दे कर सोचिये कि क्या दो लाख लोगों का ये ग्रुप छोटा है. हां हम इस बात को मानते हैं कि सारे मर्द एक जैसे नहीं होते. लेकिन 2 लाख की संख्या कोई छोटी संख्या नहीं होती. जरा सोचिए कि विश्वभर में इस घटिया सोच के लोग खुलेआम घूम रहे हैं, जो गैंगरेप जैसी अमानवीय हिंसा के मजे लेकर बातें करते हैं. कल को अगर इन के सामने इस तरह की अमानवीय घटना होती है, तो ये उसे देखकर भी मजे क्यों नहीं ले सकते हैं.
सेक्स करना और रेप करना. दोनों में आसमान धरती का फर्क होता है. सेक्स में दोनों पार्टनर्स की इच्छा शामिल होती है और रेप में मर्द औरत पर जानवर की तरह सवार हो अपने हवश को मिटाता है. औरत तड़प रही होती है.
जरा सोचिए कि जिस समाज में ऐसे ग्रुप सुपरहिट हो रहे हों, वहां भला औरतें अपने आप को सुरक्षित कैसे महसूस कर सकती है.